कहते हैं जहा चाह वहां राह, इंसान अगर कुछ करने की ठान लें, तो वह उसे पाने का रास्ता भी खोज ही लेता है. बस इसके लिए इच्छा शक्ति और खुद पर भरोसा होना बहुत जरूरी है. इसके जरिए आप हर चीज़ करने में सक्षम होते हैं.
यह कहावत बिहार के जमुई गिद्धौर प्रखंड के गंगरा गांव में रहने वाले प्रवीण सिंह ने साबित कर दिखाई है. उन्होंने इसी जज्बे की बदौलत ऊपर के वाक्य को सही साबित कर दिखाया है.
आपको बता दें कि प्रवीण ने दशकों से बंजर पड़े जमीन को हरियाली में बदल दिया है. उन्होंने बंजर खेत को उपजाऊ बनाकर उसमें अमरूद के सैकड़ों पेड़ लगाए हैं. इससे वह लाखों रुपए की कमाई कर पर्यावरण संरक्षण का कार्य भी कर रहे हैं. प्रवीण की मेहनत और सच्ची लगन ने दशकों से बंजर पड़ी जमीन को इलाहाबादी अमरूद के लिए मशहूर कर दिया है. प्रवीण द्वारा बंजर जमीन पर खून पसीना और मेहनत से लगाए गए अमरूद के बगीचे को लोग देखने जा रहे हैं. इसके साथ ही वहां से अमरूद खरीदकर ला भी रहे हैं. इस अद्भुत प्रयास के बाद चारों तरफ प्रवीण की मेहनत और लगन की चर्चा की जा रही है.
बचपन से थी खेती में रूचि
प्रवीण की रूचि बचपन से खेती-बाड़ी में रही है. इस क्षेत्र में रूचि होने के कारण वह दूसरे शहर में भी रह कर खेती करते रहे हैं. इससे पहले वह कश्मीर में सेना के जवानों के लिए कपड़े सप्लाई का काम करते थे, लेकिन 5 साल पहले उन्हें अपने गांव की मिट्टी की याद आ गई और वह फिर घर लौट आए. घर आने के बाद जिद ठान ली कि जो खेत बंजर पड़ा हुआ है, उसमें वह हरियाली लगा कर रहेंगे.
चीनी मिल की वजह से दशकों पहले जिस खेत पर गन्ने की खेती होती थी, फिर जब चीनी मिल बंद हुई, तो किसानों का रोजगार भी एक तरह से ख़त्म हो गया. इसी तरह गन्ना की खेती बंद हो गई. तब से वह खेत खाली पड़ा था, जहां गांव के कई और लोगों की भी जमीन है. चीनी मिल के बंद होने के बाद वहां के स्थानीय लोगों ने वहां किसी फसल को लगाने का प्रयास नहीं किया. इस बात का अफ़सोस प्रवीण को काफी लम्बे समय से परेशान कर रहा था. इसके बाद प्रवीण ने मेहनत और लगन के बल पर 12 बीघा बंजर जमीन पर हरियाली ला दी और अमरुद के सैकड़ों पेड़ लगा डाले.
ये भी पढ़ें: सफल किसान : विदेश छोड़ खेती को बनाया आजीविका का साधन, हो रही लाखों में कमाई
अब बीते 1 साल से प्रवीण साल में दो बार अमरूद का फल बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं. बंजर जमीन पर सैकड़ों पेड़ लगाकर इस शख्स ने बता दिया कि जब इच्छा शक्ति मजबूत हो, तो मेहनत के बल पर कुछ भी हासिल हो सकता है.
प्रवीण का कहना है कि जब उन्होंने बंजर जमीन पर खेती करने की शुरुआत की थी, तब गांव के लोग उसे मानसिक रूप से बीमार कहते थे. इन सब से लड़कर और खुद को साबित करते हुए प्रवीण ने आज अमरुद के फल उगाए. इसके अलावा सब्जी भी लगाई हैं.
इसी गांव के लोग बताते हैं कि जहां आज प्रवीण खेती कर रहा है, वहां पर गांव के कई लोगों की बंजर जमीन पड़ी हुई है. जहां लोग प्रवीण की तरह बंजर जमीन पर खेती करने का मन बना रहे हैं.