World Milk Day 2024: दुनियाभर में दूध के महत्व को पहचाने व उसे एक अलग स्थान दिलाने के लिए हर साल 1 जून के दिन ‘विश्व दुग्ध दिवस’ मनाया जाता है. जैसा कि आप जानते हैं कि इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2001 में हुई थी, जब संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने विश्व दुग्ध दिवस की स्थापना की थी. वही, इस मौके पर आईडीए प्रमुख डॉ. आरएस सोढ़ी ने आज (1 जून) ‘विश्व दुग्ध दिवस’ पर देश के पशुपालकों को बधाई दी और साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आज के समय में कोई ‘विश्व दुग्ध दिवस’ की बधाई का पात्र है, तो वह भारत के करीब 8 करोड़ पशुपालक है. जिन्होंने भारत जो 50 साल पहले मिल्क डेफिसिट कंट्री थी उसे नंबर एक पर लाकर खड़ा किया और आज के समय में दूध भारत के 14 लाख करोड़ की सबसे बड़ी फसल और क्रॉप बन गई है.
आगे उन्होंने कहा कि पिछले 50 सालों में भारत की जनसंख्या लगभग ढाई गुना बढ़ी है और वही देश में दूध का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ा है. उन्होंने बताया कि अगर आप देखेंगे कि खाली प्रोडक्शन में ही नहीं बल्कि खपत में एक एवरेज भारतीय की एक पूरे दिन की थाली 85 रुपये की होती है, जिस थाली में दूध और दूध के प्रोडक्ट का योगदान करीब 20 प्रतिशत यानी की 17 रुपये तक होता है. यह उपलब्धि हमारे देश के किसानों को बिना किसी सब्सिडी, MSP और बिना किसी योजना के मिली है. उन्होंने यह भी कहा कि ये जो कंप्लीमेंट भारत के पशुपालक ने पूरे वर्ल्ड में सब ने सब ने रंगून किया है और इस मामले में देश के पशुपालक नंबर वन पर है.
पशुपालन व्यवसाय आय का अच्छा स्त्रोत
इस समय देश के किसान और पशुपालक 70 से 80 प्रतिशत जो एक ग्राहक के द्वारा भुगतान किया जाता है. वह उनकी जेब में जाता है, जिसका कारण यह है कि जो भारत की दूध की सप्लाई चेन है, उसकी जात की माल की कॉपी पशुपालकों के हाथ में है. डॉ. आरएस सोढ़ी ने यह भी बताया कि पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं किया जाता है बल्कि लैंडलेस और मार्जिन फॉर्मल भी एक अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: भारत का वैश्विक दूध उत्पादन में एक-चौथाई योगदान: एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह
अगर देखा जाए तो आने वाले 25 सालों में किसी उद्योग व इंडस्ट्री की ग्रोथ देखना है, तो वह डेयरी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम यह चाहेंगे कि इस उपलब्धि को पॉलिसी मेकर्स या फिर पॉलिटिकल लीडरशिप भारत के पशुपालक कैसे फूड सिक्योरिटी लाइवलीहुड में कैसे योगदान कर सकते हैं. लेकिन इस कार्य में भारत के पशुपालकों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वे कैसे दूध के प्रोडक्शन की कीमत प्रति लीटर कम करें. यह तभी ही संभव है जब पशुपालक बैटर फीड और बैटर ब्रडिंग की प्रैक्टिस फॉलों करें. इस कार्य से आप आने वाली पीढ़ी को आय का एक अच्छा स्रोत दे सकते हैं.