देश की अन्य राज्यों के बाद आज राजधानी दिल्ली में मजदूरों ने हल्ला बोला. मजदूरों ने 8 और 9 जनवरी 2019 की आम देशव्यापी हड़ताल को बढ़ाते हुए दिल्ली के मंडी हाउस से संसद मार्ग तक पैदल मार्च निकाला. मजदूरों ने ठेका कर्मियों को पक्का करने, पुरानी पेंशन स्कीम, ठेका प्रथा बंद करने जैसे प्रमुख मांगो को लेकर लंबा मार्च तय किया. मजदूर हड़ताल के समर्थन में कई मजदूर संगठ, छात्र संगठन, किसान संगठन व अन्य संगठन मौजूद दिखे. हड़ताल में लगभग 10000 लोग शामिल हुए. हड़ताल में शामिल पांच बार के सांसद रह चुके हनन मुल्ला ने कहा कि " मोदी सरकार की मजदूर, किसान विरोधी नीति के ख़िलाफ हमने आज ये मार्ज निकाला है. मोदी सरकार किसान, मजदूर से जो वादा करके सत्ता में आई थी उसपर बिल्कुल भी काम नहीं किया गया है और इसलिए हम पिछले दो सालों से इस पर आंदोलन कर रहे हैं. सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है और सरकार बीमा योजना, कर्जमाफी, फसलों के उचित दाम सब पर विफल साबित हुई है और 2019 में भाजपा सरकार को इसका जवाब मिलेगा".
संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाए
दिल्ली के इस हड़ताल में लगभग 10 मजदूर संगठनों ने हिस्सा लिया. उन्होंने केंद्र सरकार पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए. उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों को मजदूर विरोधी, जन विरोधी और देश विरोधी बताया. एआईटीयूसी के महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि "आज हम मजदूर बचाओ, किसान बचाओ, देश बचाओ जैसे नारों पर निकले हैं और हमें पूरा यकिन है कि मोदी सरकार को अब सत्ता से जाना होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सत्ता पर काबिज होते ही श्रम कानूनों में परिवर्तन करके मजदूरों पर हमला किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब सभी युनियन के नेताओं ने मिलकर मजदूरों की हक के लिए आवाज़ उठाया तो यूनियन के निचम में भी कई बदलाव कर दिए गये. "एआईटीयूसी जैसे कई कई संगठन की आवाज़ को सिर्फ इसलिए दबाने की कोशिश की जा रही है ताकि देश के मजदूर आगे न बढ़ सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जिस तरह से कानूनों में बदलाव कर रही है उससे 86 प्रतिशत उद्योग श्रम कानूनों से बाहर हो जाएगी और इससे देश में मजदूरों का एक बड़ा हिस्सा मजबूर हो जाएगा.
वहीं यूनियन के नेता ए.के.सिंह ने कहा कि "हमारे कामगार मेहनत करना चाहते हैं और देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन सरकार इनको इनके हक से वंचीत करना चाहती है. कल इसके खिलाफ रोष दिखाते हुए पूरे देश में मजदूरों ने हड़ताल किया और लगभग 20 करोड़ मजदूरों और किसानों ने इसमें हिस्सा लिया. वहीं मैं बता दूं कि यह मजदूर आंदोलन जन आंदोलन में बदलता जा रहा है". वहीं उन्होंने केंद्र में बैठे मोदी सरकार पर मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी होने का आरोप लगाया.
क्या कहते हैं मजदूर
दिल्ली के शहादरा से आए शशिभूषण पंडीत ने कहा कि वो दिल्ली में रह कर मजदूरी(राज मिस्त्री) का काम करते है. उन्होंने कहा कि पहले के मुकाबले उन्हें अब मजदूरी कम मिल रही है और इससे परेशान हैं. वो बताते हैं कि वो बीहार से हैं और पिछले 20 साल से दिल्ली में मजदूरी का काम कर रहे हैं.
वहीं दिल्ली के शहादरा से आए मजदूर कालेश्वर पंडीत बताते हैं कि वो पिछले कई वर्षों से मजदूरी कर रहे हैं लेकिन कुछ बदलाव नज़र नहीं आ रहा है. उनका मानना है कि अगर न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने के साथ-साथ ठेका कर्मियों को पक्का करने, ठेका प्रथा को बंद करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देगी तो इससे बद्लाव आ सकता है.
राज मिस्त्री का काम करने वाले अरविंद बताते हैं कि मोदी सरकार के आने के बाद लेबर बोर्ड में भी हमारी परेशानियां काफी बढ़ गई हैं. वो बताते हैं कि उनकी समस्याओं को हर जगह अनदेखा किया जाता है.
बता दें कि इस हड़ताल में लगभग 10 संगठनों ने हिस्सा लिया जिसमें आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीसी, टीयूसीसी, एआईसीसीटीयू, सेवा, यूटीयूसी.शामिल थे.
जिम्मी और फैज़ान अली, कृषि जागरण