मोदी सरकार ने घरेलू स्तर को ध्यान में रखते हुए एक अहम फैसला लिया है. दरअसल केंद्र सरकार ने मैदा-सूजी के साथ गेहूं के आटे पर बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए इनके विदेशी निर्यात पर रोक लगा दी है. इससे पहले भी भारत सरकार गेहूं के निर्यात पर रोक (ban on export of wheat) लगा चुकी है.
इसी क्रम में सरकार एक बार फिर से रोक लगाने का कार्य कर रही है. इस विषय पर विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) का कहना है कि कुछ मामलों में भारत सरकार की अनुमति के अधीन इन वस्तुओं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी.
आटे की कीमत में आएगी गिरावट (There will be a fall in the price of flour)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वस्तुओं की निर्यात नीति में गेहूं, मेसलीन का आटा, मैदा, सूजी मैदा, सूजी, साबुत आटा, और परिणामी आटा को Free से निषिद्ध में संशोधित कर दिया गया है. इस बात की जानकारी खुद DGFT की अधिसूचना के द्वारा दी गई है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया है कि विदेश नीति 2015-20 के तहत संक्रमणकालीन व्यवस्था के प्रावधान इस अधिसूचना के तहत नहीं लागू किया जाएगा. देखा जाए तो इस साल भारत में गेहूं के आटे का निर्यात अप्रैल-जुलाई के महीने में सालाना आधार पर 200 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है. ऐसे में यह उम्मीद लगाई जा रही है कि आटे के निर्यात पर रोक लगाने से देश में बढ़ी आटे की कीमत में गिरावट आएगी. अब देखना यह है कि इस बार आटे के निर्यात पर रोक लगाने से देश में इसका क्या असर देखने को मिलता है.
गेहूं की बढ़ी मांग (Increased demand for wheat)
भारत के गेहूं को सबसे अधिक रूस और यूक्रेन में प्रमुख रूप से निर्यात किया जाता हैं. हाल ही में हुए दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग अधिक बढ़ गई. इसका सीधा असर घरेलू बाजार में गेहूं की कीमत (wheat price) में लगातार वृद्धि पर देखा गया है.
गेहूं के निर्यात पर रोक लगी (Wheat export banned)
देशभर में लगातार गेहूं की कीमत में हो रही वृद्धि के कारण आम लोगों के जीवन पर इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है. क्योंकि गेहूं हर एक घर की रसोई में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में इसकी बढ़ती कीमत से देश की जनता परेशानी का सामना कर रही है. लोगों की इस दिक्कत को दूर करने के लिए भारत सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक लगा दिया है, जिसके बाद यह भी देखने को मिला कि प्रतिबंध लगने के बाद से विदेशों में आटे की मांग तेजी से बढ़ गई है.
बता दें कि भारत गेहूं उत्पादक में दूसरा सबसे बड़ा देश है. साल 2020 में भारत ने दुनियाभर के कुल गेहूं उत्पादन में करीब 14 प्रतिशत तक अपना योगदान दिया था.