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Updated on: 17 January, 2024 1:50 PM IST
मक्के का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है केंद्र सराकर

Maize Production: भारत सरकार गेहूं और चावल के बाद मकई को अगली बड़ी व्यावसायिक फसल के रूप में देख रहा है, ताकि बंपर पैदावार के माध्यम से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके. जिसका उपयोग देश के ईंधन-मिश्रण कार्यक्रम के लिए इथेनॉल बनाने में किया जा सके. इसे फार्म-टू-ईंधन कार्यक्रम कहा जा रहा है, उसके माध्यम से किसानों को अधिक मक्का उगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि शीर्ष अनाज वैज्ञानिकों को बेहतर बीज पैदा करने का आदेश दिया गया है, जो उत्पादकता को 10 गुना बढ़ा सकते हैं और जागरूकता बढ़ाने के लिए किसानों के बीच अभियान आयोजित किए जाएंगे. केंद्र सरकार ने भारत की जैव ईंधन जरूरतों को पूरा करने की रणनीति के हिस्से के रूप में खेती के क्षेत्र का विस्तार करके उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करते हुए संघीय रूप से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर मक्का खरीदने की योजना पर हस्ताक्षर किए हैं.

कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि भारत का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में मक्के का उत्पादन 10 मिलियन टन तक बढ़ाना है, क्योंकि इथेनॉल उत्पादन की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा पोल्ट्री उद्योग की मांग भी बढ़ रही है, जो इसे चारे के रूप में उपयोग करता है. 2022-23 में तीसरे सबसे अधिक उगाए जाने वाले अनाज का उत्पादन 34.6 मिलियन टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 33.7 मिलियन टन था. पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने हाल ही में ब्रीफिंग में कहा था, "विचार यह है कि धीरे-धीरे गन्ने से इथेनॉल स्थिर हो जाएगा और मक्का जैसे अनाज का उपयोग किया जाएगा."

भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के निदेशक हनुमान सहाय जाट के अनुसार, "भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक उच्च उपज वाले बीज बनाने के लिए नए प्रयोग कर रहे हैं, जो उत्पादकता को बड़े पैमाने पर बढ़ा सकते हैं." इथेनॉल जैसे जैव ईंधन मुख्य रूप से गन्ने और चावल और मक्का जैसे अनाज से बनाए जाते हैं. देश का लगभग 25% इथेनॉल गन्ने के रस से बनता है, जबकि अन्य 50% गुड़ से बनता है. बाकी अनाज से आता है. अहूजा ने कहा, "भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान और कृषि मंत्रालय के सहयोग से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का की खरीद करने, इसका उत्पादन बढ़ाने और इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक बड़ी योजना चल रही है."

उन्होंने कहा कि मामले की देखरेख कर रही एक उच्च-स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति ने मक्का खरीद की पहल के लिए अपनी "सैद्धांतिक" मंजूरी दे दी है. वहीं, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पिछले सप्ताह कहा था कि नए उपाय से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि इस साल चीनी आपूर्ति में अनुमानित गिरावट के बीच 2025-26 तक इथेनॉल के साथ पेट्रोल के 20% मिश्रण को प्राप्त करने का कार्यक्रम पटरी पर है. केंद्र की योजना अपने द्वारा खरीदे गए मक्के को इथेनॉल बनाने वाली डिस्टिलरीज को बेचने की है. खरीद से तात्पर्य किसानों द्वारा संकटपूर्ण बिक्री से बचने के लिए निर्धारित न्यूनतम मूल्य पर खाद्य वस्तुओं की सरकार द्वारा खरीद से है. 2023-24 के लिए मक्के की न्यूनतम दर 2,090 रुपये प्रति क्विंटल (100 किलोग्राम) है.

दो राज्य समर्थित खाद्य एजेंसियां, NAFED और NCCF, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के अलावा, किसानों से मक्का खरीदने में शामिल होंगी. खरीदा गया मक्का डिस्टिलरीज को संघ द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य और बाजार करों पर पेश किया जाएगा, जबकि सभी आकस्मिक लागतें खाद्य विभाग द्वारा वहन की जाएंगी.

English Summary: Why is the Central Government insisting on increasing the production of maize how will farmers get the benefits
Published on: 17 January 2024, 01:52 PM IST

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