Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 6 October, 2021 5:34 PM IST
GI Tag

हमारे देश में प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल के रूप में जाना जाता है. इसमें प्रोटीन एवं कुछ बिटामिन भी अल्प मात्रा में रहते हैं. इसके साथ ही प्याज में बहुत से औषधीय गुण भी पाये जाते हैं. प्याज का सूप, अचार एवं सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है. भारत के प्याज उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, उ.प्र., उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू, म.प्र., आन्ध्र प्रदेश एवं बिहार प्रमुख रूप से शामिल हैं.

उपज के साथ-साथ प्याज की खपत भी यहां अधिक होती है. भारत के  महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा की जाती है.  अलीबाग में सफ़ेद प्याज़ खेती बड़े की पैमाने पर किया जाता है . वहीं भारत से प्याज का निर्यात मलेशिया, यू.ए.ई. कनाड़ा, जापान, लेबनान एवं कुबेत में किया जाता है.

अलीबाग के सफेद प्याज का वर्ष 1983 के आधिकारिक गजट में उल्लेख किया गया था. इस प्याज में जो औषधीय गुण पाया जाता है, उसका  प्रयोग हृदय रोग, कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रण एवं इंसूलिन निर्माण में किया जाता है. एक अधिकारी के मुताबिक, यहां के कृषि विभाग और कोंकण कृषि विश्वविद्यालय ने 15 जनवरी 2019 को जीआई टैग (GI Tag ) के लिए आवेदन किया था. इस साल 29 सितंबर को पेटेंट पंजीयक के मुंबई कार्यालय में प्रस्ताव की जांच की गई थी. जिसके बाद अलीबाग के सफेद बाग को जीआई टैग देने का फैसला किया गया. प्याज़ की फसल से प्रति एकड़ करीब 2 लाख की औसत आमदनी होती है.

सफ़ेद प्याज़ की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा फायदा

महाराष्ट्र में रायगढ़ जिले के अलीबाग के मशहूर सफेद प्याज का ‘भौगोलिक संकेतक’(जीआई टैग) मिल गया है. जिससे उसे अनोखी पहचान मिली है. जीआई मिलने के बाद अब इसकी इंटरनेशनल मार्केटिंग आसान हो जाएगी. सफ़ेद प्याज़ फसल से प्रति एकड़ करीब दो लाख की औसत आमदनी होती है. जिससे किसानों को भारी मुनाफ़ा होगा.

क्या है GI टैग ?

GI   टैग यानि जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है.

किसी वस्तु या फसल को अगर GI टैग मिलता है, तो फसल को उस जगह की स्पेशलिटी मान लिया जाता है. जिससे देशभर में उसे उस जगह के नाम से पहचान मिलती है. जीआई टैग मिलने से उस उत्‍पादित प्रोडक्‍ट के साथ क्‍वालिटी का पैमाना भी जुड़ जाता है. किसानों को इससे फसल के अच्‍छे दाम मिलते हैं.

English Summary: White onion of Maharashtra gets GI tag.
Published on: 06 October 2021, 05:39 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now