भले ही सरकार अपनी तरफ से किसानों को उन्नत बनाने की दिशा में लाख कोशिशें कर लें, लेकिन अगर प्रकृति की मार पड़ जाए तो सारी कोशिशें नाकाम हो जाती है. कुछ ऐसा ही हिमाचल प्रदेश के किसानों के साथ हो रहा है. खबर है कि हिमाचल प्रदेश के 70 फीसद किसानों के गेहूं की फसल पर्याप्त मात्रा में बारिश न होने की वजह से बर्बाद हो गई है. बताया जा रहा है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो गेहूं की कीमत में उछाल आ सकता है.
नहीं हुई जरूरत के मुताबिक बारिश
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, गेहूं की फसल के लिए तकरीबन 70 फीसद बारिश की जरूरत होती है, लेकिन इस बार मौसम की बेवफाई ने किसानों की अपेक्षाओं पर जिस तरह का कुठाराघात किया है, उसकी भारी कीमत प्रदेश के अन्नदाताओं को चुकानी पर सकती है. इतना ही नहीं, गेहूं के इतर जौ, लहसुन, मटर की फसलों को भी सूखे का शिकार होना पड़ गया है.
बताते चले कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में बारिश न होने के कारण किसानों की फसल मुरझाकर खराब हो गई है, जिसके चलते अब किसानों को इन फसलों की अच्छी कीमत मिलने के आसार खत्म हो गए हैं, मगर कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आगामी 15 मार्च तक उचित मात्रा में बारिश हो जाती है तो फिर फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है.
किस जिले में कितनी प्रभावित हुई फसल
यहां हम आपको बताते चले कि हमीरपुर में 90, मंडी-कांगड़ा में 70, बिलासपुर में 60, सिरमौर में 20, ऊना में 15 फीसदी गेहूं की फसल प्रभावित हुई. खैर, अब मौसम के रूख का यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा या फिर इस पर ब्रेक भी लगेगा यह तो फिलहाल अब 15 मार्च के बाद ही तय हो पाएगा.