नए साल पर देश में अनाज का संकट नहीं पैदा होगा. इस साल गेहूं, धान, तिलहन और दलहन समेत सभी फसलों की बिजाई अच्छी हुई है. गौरतलब है कि कुछ माह पहले ही आटा के कीमतों में बढ़ोतरी होने से मध्यम वर्ग का बजट बिगड़ा था. जिसके बाद मीडिल क्लास को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार आटे की कीमतों पर नियंत्रण करने का कदम उठा रही है.
देश में इस बार बंपर गेहूं की बिजाई हुई है. जिससे देश में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है. इसका असर गेहूं की कीमतों पर देखने को मिलेगा. विशेषज्ञों के मुताबिक गेहूं की कीमतों में कमी होने से आटे की कीमतें घट सकती है. विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वर्ष 2022-23 में देश में रिकॉर्ड गेंहू का उत्पादन हो सकता है. गेहूं का उत्पादन 2022-23 में 11.2 करोड़ टन पहुंचने की संभावना है. वहीं अगर इससे अधिक गेहूं का उत्पादन होता है तो घरेलू खपत में कोई परेशानी नहीं होगी, जिसका असर आटे की कीमतों पर नजर आएगा.
गेहूं के रकबे में हुई बढ़ोतरी
गेहूं के अधिक उत्पादन होने पर विशेषज्ञों की राय है कि देश में जो गेहूं हुआ है इसके पीछे की वजह अधिक उत्पादन वाली फसलों का होना है. विशेषज्ञों के अनुसार अधिक उपज वाली प्रजातियों के कारण खेती का रकबा बढ़ गया है. वहीं खरीफ सीजन के आखिरी में हुई बारिश ने भी रबी की प्रमुख फसल गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी की है. मौजूदा रबी सत्र में गेहूं का उत्पादन अनुमान पिछले साल के रबी कटाई सत्र की तुलना में करीब 50 लाख टन अधिक है.
इन राज्यों में अधिक हुई गेहूं की बुवाई
इस साल देश के बड़े क्षेत्र में गेहूं की बंपर बिजाई हो रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान राज्य के अधिक हिस्सों में गेहूं की बिजाई हुई है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसलिए गेहूं का रकबे में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि किसानों ने गेहूं की बुवाई तय समय पर की. बता दे कि सर्दियों में रबी की फसलों का रकबा पिछले साल की अपेक्षा 15 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, जो 3.3 करोड़ हेक्टेयर हो गया है.
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बता दें कि पिछले साल लू के प्रभाव के कारण गेहूं की पैदावार कम हुई थी. लेकिन एकाएक गेहूं का एक्सपोर्ट बढ़ा था. वहीं रूस-यूक्रेन वार के कारण भी गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई जिसके कारण केंद्र सरकार ने मई 2022 में गेहूं के एक्सपोर्ट पर प्रतिंबध लगा दिया था.