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Updated on: 27 February, 2024 12:06 PM IST
गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान

Wheat Production: देश में इस बार रिकॉर्ड तोड़ गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान है. क्योंकि, इस बार गेहूं की बुवाई का रकबा बढ़ा है और मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है. जिसके चलते इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 114 मिलियन टन (एमटी) के लक्ष्य को पार कर सकता है. करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक जीपी सिंह का कहना है कि अच्छे मौसम और जलवायु अनुकूल किस्मों के अधिक रकबे के कारण इस वर्ष गेहूं का उत्पादन लक्ष्य 114 मिलियन टन (एमटी) से अधिक हो सकता है.

बिजनेसलाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीपी सिंह ने कहा कि भारत में गेहूं की फसल अब तक उत्कृष्ट स्थिति में है. इस बार फसल में कोई बीमारी नहीं लगी है. जबकि, रकबा बढ़ा है और फसल का विकास भी अच्छी तरह से हो रहा है. यदि सब कुछ ठीक रहा (एक और महीने के लिए), तो हम आसानी से लक्ष्य को छू सकते हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति इस ओर इशार कर रही है की इस बार गेहूं का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन होगा. बता दें कि 2022-23 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 110.55 मिलियन टन पहुंचा था. जिसके बाद सरकार ने इस साल उत्पादन लक्ष्य 114 मिलियन टन निर्धारित किया है.

जीपी सिंह ने कहा कि हालांकि अब तक चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है. क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव लगातार बना हुआ है. चिंता के दो कारण हैं. पश्चिमी विक्षोभ और तापमान, जिन पर कटाई शुरू होने तक शेष दिनों में नजर रखने की जरूरत है. चूंकि पश्चिमी विक्षोभ के कारण तूफान और बेमौसम बारिश होती है. जिसके चलते संभावित रूप से खेतों में पानी जमा हो जाता है. कई विशेषज्ञ इसे गेहूं के लिए एक हानिकारक कारक के रूप में देखते हैं. मार्च के तीसरे और चौथे सप्ताह में उच्च तापमान को भी विशेषज्ञ गेहूं की पैदावार के लिए नकारात्मक कारक के रूप में देखते हैं. हालांकि, 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में जलवायु के अनुकूल किस्मों की बुवाई की गई है. जो सभी चुनौतियों को पार करते हुए लक्ष्य तक पहुंचने में आश्वस्त करती हैं.

सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष गेहूं का रकबा 341.57 लाख हेक्टेयर (एलएच) रहा. जबकि 2022-23 में यह 339.20 लाख हेक्टेयर था. गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 102.40 लाख प्रति हेक्टेयर से अधिक का रकबा दर्ज किया गया है. इससे राजस्थान और महाराष्ट्र में कम कवरेज की भरपाई करने में मदद मिली है. वहीं, बिहार, पंजाब और हरियाणा में रकबा लगभग पिछले साल के बराबर है. लेकिन, मध्य प्रदेश में रकबा 80,000 हेक्टेयर अधिक है.

कई राज्यों में बारिश के आसार

इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भविष्यवाणी की है कि पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिलेगा. 29 फरवरी से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र और 1 से 4 मार्च के दौरान आसपास के मैदानी इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है. IMD के मुताबिक, इसकी तीव्रता 1 और 2 मार्च को चरम पर रहेगी.

इन राज्यों के किसान दें ध्यान 

मौसम विभाग ने कहा कि इसके प्रभाव में, 1 से 3 मार्च के दौरान पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में गरज और बिजली के साथ व्यापक रूप से हल्की/मध्यम वर्षा होने की संभावना है. जबकि, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली में गरज और बिजली के साथ छिटपुट से लेकर व्यापक रूप से हल्की/मध्यम बारिश हो सकती है. इसकी तरह, 1 और 2 मार्च को उत्तर प्रदेश, राजस्थान में छिटपुट से लेकर छिटपुट हल्की/मध्यम बारिश होने की संभावना है.

1-2 मार्च को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा/बर्फबारी की भी भविष्यवाणी की गई है, जबकि आईएमडी का कहना है कि 1 मार्च को उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि हो सकती है। दक्षिण मध्य प्रदेश, विदर्भ क्षेत्र और दक्षिण छत्तीसगढ़ में अलग-अलग स्थानों पर ओलावृष्टि हो सकती है। सोमवार और मंगलवार के लिए पूर्वानुमान लगाया गया है।

English Summary: Wheat Production may break record yield may exceed target of 114 million tones
Published on: 27 February 2024, 12:10 PM IST

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