Wheat Harvesting: मार्च महीने में पहाड़ों पर बर्फबारी और देश के कई राज्यों में बारिश का दौर जारी है. जिस वजह से ठंड लगातार बनी हुई है. मौसम में आई ठंडक भले ही फसलों के लिए लाभदायक हो, लेकिन बेमौसमी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. देश के कई राज्यों भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं, रापसी और चने सहित सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान पहुंचा है. कई क्षेत्रों में तो खेतों में खड़ी पूरी फसल बर्बाद हो गई है. बेमौसमी बारिश से जहां एक ओर फसलों को नुकसान पहुंचा है. वहीं, कटाई में भी देरी हो रही है. विपरीत मौसम गेहूं उत्पादन में वृद्धि को सीमित कर सकता है और स्टॉक बनाने के सरकारी प्रयासों को जटिल बना सकता है. इस साल गेहूं की फसल भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, पिछले दो सालों से गेहूं की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई थी. जबकि, इस साल रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान है.
किसानों के सपनों पर मौसम की मार
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार गर्म और बेमौसम सीजन ने साल 2022 और 2023 में भारत के गेहूं उत्पादन में कटौती की, जिससे राज्य के भंडार में भारी गिरावट आई है. लगातार तीसरी बार खराब फसल होने पर भारत के पास कुछ गेहूं आयात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. सरकार ने अब तक गेहूं आयात की अपील का विरोध किया है, जो इस साल की शुरुआत में आम चुनाव से पहले एक अलोकप्रिय कदम है. साल 2021-22 और 2022-23 दोनों ही साल असामान्य रबी (सर्दी-वसंत) फसल के मौसम देखे गए. खासकर गेहूं की फसल के लिए तो मौसम काफी असाधारण ही रहा. बारिश और तापमान में अंतर के पैटर्न की वजह से खड़ी फसल को नुकसान हुआ.
मंहगी होगी कटाई
साल 2021-22 सीजन में बहुत ज्यादा बारिश हुई. इसके बाद औसत अधिकतम तापमान के मामले में मार्च में अभी तक तापमान भी काफी कम रिकॉर्ड हो रहा है. पिछले साल भी मार्च 2022 में असामान्य गर्मी के कारण गेहूं का उत्पादन काफी कम रहा था. उत्तर प्रदेश के किसान मुकेश कुमार ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि भारी बारिश और ओलावृष्टि के कारण गेहूं की पूरी फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने यह भी बताया कि यह फसल लगभग पक गई थी और उसे सवा तीन सप्ताह के भीतर काट सकते थे. उन्होंने आगे कहा कि ओलावृष्टि से न केवल उत्पादन में नुकसान होगा, बल्कि कटाई का खर्च भी बढ़ेगा. क्योंकि फसल को कंबाइन से नहीं काटा जा सकता है और इसके लिए मजदूरों की जरूरत होती है.
गेहूं उत्पादन राज्यों में नुकसान
एक वैश्विक व्यापार घराने के नई दिल्ली स्थित व्यापारी ने कहा, गेहूं का उत्पादन निश्चित रूप से प्रभावित होगा, क्योंकि उत्तर में पंजाब और हरियाणा से लेकर मध्य भारत में मध्य प्रदेश तक सभी गेहूं उत्पादक राज्यों में नुकसान की सूचना है. सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि गेहूं का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 1.3% बढ़कर रिकॉर्ड 112 मिलियन टन हो सकता है, लेकिन अब व्यापारियों का कहना है कि उत्पादन अनुमान से बहुत कम होगा. उन्होंने बताया, 'केवल एक सप्ताह के खराब मौसम के कारण उत्पादन कम से कम 2-3 मिलियन टन कम हो सकता है. मार्च के दूसरे भाग में गर्म मौसम की उम्मीद है. हम नहीं जानते कि इससे फसल पर कितना दबाव पड़ेगा.'
क्या गेहूं की कीमत पर पड़ेगा असर?
बता दें कि देशभर की मंडियों में नए गेहूं ने दस्तक दे दी है. अगर बाजार एक्सपर्ट्स की मानें तो गेहूं की कीमतों में अभी तेजी बनी हुई है. देशभर की मंडियों में गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रहा है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि कीमतों में ये तेजी अगले कुछ महीनों तक जारी रहेगी. हालांकि, उसके बाद हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है. लेकिन, दाम MSP से ऊपर ही रहेंगे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जहां गेहूं की घरेलू मांग काफी अच्छी है, तो वहीं निर्यात बाजार में भी भारत के गेहूं की खूब डिमांड है. जिस वजह से कीमतों में गिरावट की फिलहाल, कोई संभावना नहीं है.