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Updated on: 7 March, 2025 11:58 AM IST
Kisan Tractor Yojana, Pic Credit: PIB

भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए शुरू की गई हैं. इनमें से एक है 'कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन' (Sub-Mission on Agricultural Mechanization- SMAM) योजना. इस योजना के अंतर्गत एक निश्चित समयांतराल पर सस्ती दरों पर किसानों के लिए ट्रैक्टर सहित विभिन्न कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि वे आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करके अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें.

हालांकि, हाल ही में इस योजना के नाम पर “किसान ट्रैक्टर योजना” नामक वेबसाइट को शुरू कर किसानों के साथ धोखाधड़ी की घटना सामने आई है. “किसान ट्रैक्टर योजना” नामक फर्जी वेबसाइट और गलत जानकारी के जरिए किसानों को गुमराह किया जा रहा है. प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इस संबंध में एक फैक्ट चेक जारी किया है, जिसमें किसानों को सचेत रहने की सलाह दी गई है.

क्या है 'कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन' (SMAM) योजना?

'कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन' (SMAM) योजना भारत सरकार द्वारा किसानों को सस्ती दरों पर ट्रैक्टर और कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है. इस योजना का उद्देश्य किसानों की उत्पादकता बढ़ाना और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ना है. यह योजना किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, ताकि वे ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरण खरीद सकें. हालांकि, इस योजना के नाम पर कुछ अवैध तत्व किसानों को ठगने का काम कर रहे हैं.

फर्जी वेबसाइट और धोखाधड़ी की घटनाएं

PIB के अनुसार, कुछ फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर “किसान ट्रैक्टर योजना” https://tractoryojana.in/ के नाम पर किसानों से रजिस्ट्रेशन शुल्क और अन्य फीस वसूली जा रही है. इन वेबसाइट्स पर किसानों को यह बताया जाता है कि वे योजना के तहत ट्रैक्टर और कृषि उपकरण प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन, यह सब झूठ और धोखाधड़ी का हिस्सा है.

PIB ने स्पष्ट किया है कि भारत सरकार की ओर से “किसान ट्रैक्टर योजना” के नाम पर कोई भी वेबसाइट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नहीं बनाया गया है. सरकारी योजनाओं से संबंधित सभी जानकारी केवल आधिकारिक वेबसाइट्स और पोर्टल्स पर ही उपलब्ध होती है. इन फर्जी वेबसाइट्स का उद्देश्य केवल किसानों से पैसे ऐंठना है और उन्हें गुमराह करना है.

कैसे पहचानें फर्जी वेबसाइट?

  1. URL की जांच करें: सरकारी वेबसाइट्स का URL हमेशा ".gov.in" या ".nic.in" पर समाप्त होता है. अगर किसी वेबसाइट का URL अलग है, तो यह फर्जी हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर किसी वेबसाइट का URL ".com" या ".org" पर समाप्त होता है, तो यह सरकारी वेबसाइट नहीं है.

  2. संपर्क जानकारी: सरकारी वेबसाइट्स पर संपर्क जानकारी स्पष्ट और सही होती है. अगर किसी वेबसाइट पर संपर्क जानकारी नहीं है या गलत है, तो यह फर्जी हो सकती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे संपर्क जानकारी की जांच करें और अगर संदेह हो तो सरकारी कार्यालय से संपर्क करें.

  3. फीस की मांग: सरकारी योजनाओं में आमतौर पर कोई रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाता है. अगर किसी वेबसाइट पर फीस की मांग की जा रही है, तो यह फर्जी हो सकती है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी योजना में रजिस्ट्रेशन करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें.

  4. PIB फैक्ट चेक: PIB ने अपने ट्विटर हैंडल (@PIBFactCheck) पर फर्जी वेबसाइट्स और योजनाओं के बारे में जानकारी साझा की है. किसान इसे फॉलो करके सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. PIB फैक्ट चेक के माध्यम से किसानों को यह पता चल सकता है कि कौन सी वेबसाइट फर्जी है और कौन सी सरकारी है.

किसानों को सलाह

PIB ने किसानों से अपील की है कि वे किसी भी योजना में रजिस्ट्रेशन करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें. सरकारी योजनाओं से संबंधित जानकारी केवल आधिकारिक स्रोतों से ही प्राप्त करें. अगर किसी को संदेह हो तो वे नजदीकी कृषि विभाग या सरकारी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं.

English Summary: websites falsely claims to offer tractor subsidies under Kisan Tractor Yojana how to avoid online fraud?
Published on: 07 March 2025, 12:06 PM IST

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