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Updated on: 26 December, 2022 3:34 PM IST
उत्तर प्रदेश के शंकरगढ़ में प्रशासन के खिलाफ आक्रोशित किसान

किसानों की दोगुनी आय करने के लिए भले ही शासन ने नहरों का जाल बिछा दिया हो परंतु अधिकारियों की मनमानी के चलते उनके खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. बुवाई शुरू होने से पहले छोटी नहरों की मेंटेनेंस एवं साफ सफाई की जाती है परंतु इस कार्य के लिए पैसे आने के बाद भी मेंटेनेंस ना कर राशि का आहरण कर लिया गया. अब जब खेतों में पलेवा देने की बात आई तो किसान पानी की एक- एक बूंद के लिए आस लगाए बैठे हुए हैं.

निजी साधन से कर रहे पलेवा

शंकरगढ़ क्षेत्र के गदामार, भड़िवार, कुबरी, तेंदुआ आदि कई गांव के किसान जिनके पास खुद के बोर हैं वह खेतों में पलेवा दे रहे हैं परंतु जिनके पास बोर नहीं है और वह नहरों पर ही आश्रित हैं और उनकी बुवाई पिछड़ने लगी है. अधिकारियों की मानें तो माइनर नहरें पूरी तरह से दुरुस्त हैं, बावजूद पानी क्यों नहीं जा रहा है यह बताने की स्थिति में वह नहीं है. समय रहते अगर किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचा तो वह गेहूं की बोनी से वंचित हो जाएंगे.

कागजों में नहरों की साफ - सफाई

नहरों में पानी छोड़े जाने से पहले नहरों की साफ - सफाई और मेंटिनेंस कराए जाने को लेकर राशि स्वीकृत की जाती है. लेकिन नहर में पानी छोड़े जाने के बाद यह पानी बिना रुकावट नहर के अंतिम छोर से जुड़े गांव के किसानों को मिले, लेकिन यह कार्य जमीनी स्तर पर तो होते दिखाई नहीं दे रहा. विभागीय अधिकारियों द्वारा सिर्फ कागजों में ही इसकी खानापूर्ति कर ली जाती है. इसको नहरों की साफ-सफाई ना कराए जाने को लेकर पहले भी किसानों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है.

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क्षेत्र के किसानों की मानें तो समय रहते अगर नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो वह पटहट - रीवा मार्ग पर चक्का जाम करने के लिए बाध्य होंगे. इस संबंध में जब उप जिलाधिकारी बारा से बात की गई तो उन्होंने कहां की मैं सिंचाई विभाग के सम्बंधित अधिकारी से बात करता हूँ. इसको लेकर अब किसानों के बीच आक्रोश का माहौल है.

रिपोर्ट सुजीत चौरसिया
फार्मर दा जर्नलिस्ट
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

English Summary: Water for irrigation is not reaching the fields in Shankargarh, Uttar Pradesh, anger among farmers
Published on: 26 December 2022, 03:42 PM IST

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