बसंतराव नाईक मराठवारा कृषि विद्यापीठ, परभनी (महाराष्ट्र) के कुलपति प्रो. (डॉ) इंद्र मनी ने बुधवार (6 मार्च, 2024) को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के मुख्यालय, जनकपुरी, नई दिल्ली का दौरा किया. इस अवसर पर कुलपति का स्वागत फूलों के गुलदस्ते एवं अंगवस्त्र से डॉ. पी के गुप्ता, अपर निदेशक, राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने किया. कुलपति ने अपने इस दौरे के दौरान राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के साथ अपना अनुभव साझा किया.
उन्होंने बताया कि संस्थान ने प्याज और लहसुन की बहुत सी प्रजातियों को विकसित किया है, जिससे महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष के किसान लाभान्वित हो रहे हैं. साथ ही साथ यह भी बताया कि इसके अलावा भी यह संस्थान अलग-अलग विषयों, जैसे- मशरूम उत्पादन, माली प्रशिक्षण, बीज उत्पादन, मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहता हैं.
वहीं, संस्थान के अपर निदेशक, डॉ. पी के गुप्ता ने बसंतराव नाईक मराठवारा कृषि विद्यापीठ, परभनी (महाराष्ट्र) के साथ विभिन्न विषयों पर अनुबंध करने का प्रस्ताव रखा. प्याज एवं लहसुन कि नवीन प्रजातियों को संयुक्त रूप से विकसित करने एवं राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित जैव पदार्थों जैसे ट्राइक्को वीर, स्यूडो गार्ड एवं यस गार्ड को महाराष्ट्र राज्य में अनुपयोग हेतु अनुशंसा करने का प्रस्ताव रखा. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा. कुलपति प्रो. (डॉ) इंद्र मनी ने आगे कहा कि इस अनुबंध से दोनों संस्थानों की टेक्नोलाजी को आपस मे आदान प्रदान किया जा सकेगा और अपने-अपने क्षेत्र में किसानों को नई टेक्नोलाजी से अवगत कराया जाएगा. जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होगा.
इस अवसर पर संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष मनोज कुमार श्रीवस्ताव, उप निदेशक, संजय सिंह, सहायक निदेशक, ज्ञान प्रकाश दुवेदी, सहायक निदेशक, डॉ. एस.के. तिवारी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, राहुल डबास, लेखा अधिकारी, एस.सी.तिवारी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, तथा सभी कर्मचारी गण भी मौजूद रहे.
बता दें कि भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) एक स्वायत्त संस्था है. यह संस्थान भारत में बागवानी के विभिन्न पहलुओं पर बुनियादी, रणनीतिक, प्रत्याशित और व्यावहारिक अनुसंधान के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करता है. भारत सरकार ने साल 2005-06 में राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत की थी. इस योजना का मकसद भारत में बागवानी क्षेत्र का व्यापक विकास करना और बागवानी उत्पादन में बढ़ोतरी करना है. इस योजना का मकसद किसानों को ऐसी फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसकी मांग सालों भर रहती है. इस तरह की खेती में ज़्यादा खर्च नहीं आता.