उत्तर प्रदेश सरकार ने उर्वरक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने स्पष्ट किया कि अब खाद की बिक्री केवल POS मशीन के माध्यम से ही होगी और किसानों को बिल देना अनिवार्य होगा. कोई भी विक्रेता यदि किसानों से अधिक कीमत वसूलता है या जबरन अन्य उत्पाद खरीदने को मजबूर करता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. आइए जानें कि क्या है पुरा माजरा...
अब तक 25.62 लाख मीट्रिक टन खाद की बिक्री
कृषि मंत्री ने बताया कि खरीफ 2025 सीजन के लिए 39.58 लाख मीट्रिक टन खाद उपलब्ध कराई गई है, जिसमें से 25.62 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है. अभी भी करीब 9.91 लाख मीट्रिक टन स्टॉक उपलब्ध है.
सीतापुर और लखनऊ में कार्रवाई
हाल ही में लखनऊ और सीतापुर के उर्वरक विक्रेताओं के यहां औचक निरीक्षण किया गया. अनियमितताएं पाए जाने पर कई प्रतिष्ठानों को सील कर दिया गया है.
- सीतापुर के जैन इंटरप्राइजेज, बालाजी ट्रेडर्स और अन्य दुकानों पर स्टॉक गड़बड़ी, गलत टैगिंग और अधिक दर वसूली मिली.
- लखनऊ के कुर्सी रोड स्थित किसान खाद भंडार द्वारा किसानों से तय दर 266.50 रु. से ज्यादा वसूली की गई.
- थोक विक्रेता ओमप्रकाश और जयप्रकाश द्वारा फुटकर विक्रेताओं को 300 रु. प्रति बैग की दर से यूरिया बेचने पर कार्रवाई की गई.
स्पष्ट निर्देश
- खाद की बिक्री POS मशीन और बिल के माध्यम से ही होगी.
- फसल और जोत के अनुसार ही खाद की बिक्री की अनुमति.
- नीम कोटेड यूरिया का औद्योगिक उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित.
- हर जिले में निगरानी और समीक्षा की व्यवस्था अनिवार्य.
- विक्रेता यदि खाद के साथ अन्य उत्पाद लेने को बाध्य करता है, तो उस पर एफआईआर की जाएगी.
खाद उपलब्धता का ब्योरा
- यूरिया : 15.71 लाख मीट्रिक टन
- डीएपी : 2.98 लाख मीट्रिक टन
- एनपीके : 3.02 लाख मीट्रिक टन
- पोटाश : 81 हजार मीट्रिक टन
- एसएसपी : 3.22 लाख मीट्रिक टन
शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई
कुशीनगर और बलरामपुर के किसानों ने मोबाइल पर शिकायत की थी कि उन्हें यूरिया, सल्फर और जिंक अधिक दाम पर बेचा गया. इन मामलों में एफआईआर दर्ज कर विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द कर दिए गए. अब तक 1,07,000 रिटेलर लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनमें से 23,000 से अधिक नॉन-फंक्शनल लाइसेंस हटाए जा चुके हैं. अब केवल सक्रिय रिटेलर ही खाद बेच सकेंगे.
सरकार आने वाले समय में किसानों को रासायनिक खादों का संतुलित और वैज्ञानिक उपयोग सिखाने की योजना बना रही है. अत्यधिक उर्वरक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता पर असर पड़ता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश सरकार खाद वितरण में पारदर्शिता, गुणवत्ता और किसानों को समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सतर्क और प्रतिबद्ध है.