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Updated on: 1 October, 2021 3:10 PM IST
Baler Machine

देशभर में पराली को लेकर चिंता और परेशानी दोनों बढ़ती ही जा रही है. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली से लेकर अब यूपी भी इसकी चपेट में आ गया है. पराली की समस्या ना ही सिर्फ किसानों की होती है, बल्कि इसकी वजह से प्रदूषण पूरे प्रदेश और आस-पास के राज्यों को भी प्रभावित करता है.

जिसको लेकर राज्य सरकारें भी काफी परेशान रहती हैं. ICAR समेत कई ऐसे संस्थान हैं जो इस समस्या को काफी गंभीरता से लेते हुए इस पर निरंतर काम करते आ रहे हैं.

हरियाणा और पंजाब में धान की कटाई के बाद पराली से होने वाले प्रदूषण को लेकर दिल्ली के भी लोग काफी परेशान हो जाते हैं. पराली की वजह से दिल्ली का प्रदूषण विश्वभर में सबसे अधिक भी मापा गया है. ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि दिल्ली वासियों का सांस भी लेना मुश्किल हो जाता है. पिछले वर्ष के आकड़ों पर अगर नजर डालें, तो पराली की वजह से दिल्ली का एयर क़्वालिटी इंडेक्स 500 पार कर चुका था. इसके मद्देनजर, दिल्ली सरकार ने पराली को खेतों में ही डिकम्पोज़ करने के तरीकों को अपनाया.

दिल्ली से सटे यूपी की भी हालत कुछ ऐसी ही है. यूपी के किसानों को भी अब पराली की समस्या सताने लगी है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस पर कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रही है. कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और सीनियर साइंटिस्ट एसपी सिंह ने बताया कि वो बेलर मशीन की मदद से अब पराली कि समस्या से छुटकारा पा सकते हैं. उन्होंने कहा अब बेलर मशीन से हम पराली को एकत्र करके उसके बंडल बनाने में सक्षम होंगे. जिसके बाद पराली को खेतों से उठाकर गाजीपुर स्थित सुखबीर एग्रो इंडस्ट्रीज को बेच दिया जाएगा.

जिसका उपयोग हम बिजली उत्पादन में करेंगे. इस तरह से रद्दी पराली का उपयोग भी कर पाएंगें और किसानों को इसका मुनाफा भी मिल सकेगा. खरीफ फसलों की कटाई का समय काफी नज़दीक आता जा रहा है. समय के साथ-साथ किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर सरकार की चिंताएं भी बढ़ती जा रही है. जिसके तहत किसानों अलग-अलग तरीकों से ऐसा न करने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. इस बीच चंदौली में किसानों को पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए 26 लाख रु. की लागत लगाकर एक बेलर मशीन की खरीद की गई है.

क्या है बेलर मशीन और कैसे करता है काम

माना जा रहा है कि बेलर मशीन एक ऐसा कृषि यंत्र है जो पराली को खेतों से इकट्ठा कर के छोटे-छोटे  गट्ठर बनाने में मदद करता है. बेलर मशीन की मदद से किसान एक घंटे में तकरीबन एक एकड़ खेत से पराली को हटा सकते है. सरकार की तरफ से ये मशीन चंदौली के किसानों को न्यूनतम किराए पर उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया है.

कृषि विज्ञान केंद्र चंदौली के प्रभारी एसपी सिंह के मुताबिक, बेलर मशीन से हम पराली को इकट्ठा कर उसके बंडल बना लेंगे. जिसके बाद पराली को खेतों से उठाकर गाजीपुर स्थित सुखबीर एग्रो इंडस्ट्रीज को बेच दिया जाएगा. जहां इसका सदुपयोग कर बिजली का निर्माण किया जाएगा.

बेलर मशीन के फायदे:

किसानों को पराली जलाने से छुटकारा मिलेगा साथ ही राज्यों में प्रदूषण भी कम होगा.

एग्रो इंडस्ट्रीज को भेजी गई पराली से कृषि विज्ञान केंद्र को राजस्व मिलेगा.

खेतों से निकाली गई पराली से एग्रो इंडस्ट्रीज द्वारा बिजली बनाई जाएगी और किसानों को भी इसका मुनाफा मिलेगा.

English Summary: UP farmers will get rid of Stubble burning
Published on: 01 October 2021, 03:15 PM IST

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