प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना: सब्सिडी में समस्या? यहां करें शिकायत और पाएं तुरंत समाधान PM Awas Yojana 2.0: नए नियमों के तहत इन लोगों को नहीं मिलेगा लाभ, आवेदन के लिए सख्त हुई शर्तें! Drone Pilot Training: ड्रोन पायलट कैसे बनें और कहां मिलेगी सस्ती ट्रेनिंग? सचिन जाटन: महिंद्रा NOVO 605 DI के साथ सफलता की कहानी, कड़ी मेहनत और सही चुनाव ने बनाई कामयाबी की राह! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 6 March, 2025 12:21 PM IST
शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और छात्रों ने डॉ. राजाराम त्रिपाठी के मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म का किया दौरा

जैविक कृषि, पर्यावरण संरक्षण और नवाचार में अग्रणी डॉ. राजाराम त्रिपाठी के फार्म पर शहीद गेंद सिंह विश्वविद्यालय के एमएससी (वनस्पति विज्ञान) विभाग के 50 सदस्यीय विभागाध्यक्ष, प्रोफेसरों एवं छात्रों के दल ने विशेष शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर का भ्रमण तथा निरीक्षण किया.

इस दौरान उन्होंने डॉ. त्रिपाठी द्वारा विकसित अत्याधुनिक तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान के अद्भुत समन्वय को नजदीक से देखा. इन्हें फॉर्म का भ्रमण मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के निदेशक अनुराग कुमार, संपदा समाजसेवी संस्था की प्रमुख जसमती नेताम तथा शंकर नाग के द्वारा करवाया गया.

  1. प्राकृतिक ग्रीनहाउस: प्लास्टिक मुक्त कृषि की अनूठी पहल: पर्यावरण अनुकूल कृषि को नई दिशा देने वाले प्राकृतिक ग्रीनहाउस को देखकर वैज्ञानिक दल अचंभित रह गया. यह पूरी तरह से वृक्षों से निर्मित है और ₹40 लाख प्रति एकड़ की महंगी पॉलीहाउस प्रणाली के मुकाबले मात्र ₹2 लाख प्रति एकड़ की लागत में विकसित किया गया है. यह प्रणाली न केवल गर्मी और ठंड से फसलों को सुरक्षित रखती है बल्कि प्लास्टिक के उपयोग को भी समाप्त करती है.

  2. रिकॉर्ड उत्पादन देने वाली काली मिर्च की नई किस्म: दल ने डॉ. त्रिपाठी द्वारा विकसित विशेष काली मिर्च की किस्म को भी देखा, जिसकी उत्पादकता अन्य प्रजातियों की तुलना में चार गुना अधिक है. यह किस्म किसानों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है, जिससे उन्हें अधिक उपज और बेहतर आर्थिक लाभ मिल सकेगा.

  1. जैविक कृषि में नवाचार: पर्यावरण और किसान हितैषी मॉडल: दल ने खेतों में उपयोग की जा रही उन्नत जैविक खेती तकनीकों को समझा, जिनमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना उन्नत उत्पादन लेने की विधियां शामिल हैं. डॉ. त्रिपाठी ने उन्हें समझाया कि इको-फ्रेंडली फार्मिंग तकनीक न केवल मृदा की उर्वरता बनाए रखती है बल्कि जलवायु परिवर्तन से भी लड़ने में सक्षम है.

  2. जनजातीय समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण: दल ने बस्तर की आदिवासी महिलाओं द्वारा उत्पादित मसाले, मिलेट्स और औषधीय उत्पादों के प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और राष्ट्रीय स्तर पर विपणन की प्रक्रिया को भी जाना. अपूर्वा त्रिपाठी द्वारा संचालित यह पहल न केवल आदिवासी परिवारों की आजीविका में सुधार कर रही है बल्कि उनके उत्पादों को भी वैश्विक पहचान दिला रही है.

  1. किसानों के लिए समर्पित राष्ट्रीय नेतृत्व: डॉ. त्रिपाठी, जो अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, ने दल को बताया कि किसानों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उनका संगठन नीतिगत सुधारों से लेकर जागरूकता अभियानों तक व्यापक स्तर पर कार्य कर रहा है.

प्रोफेसरों वैज्ञानिकों ने नवाचारों को सराहा: विश्वविद्यालय के बॉटनी विभागाध्यक्ष और प्रोफेसरों ने डॉ. त्रिपाठी की तकनीकी दक्षता, नवाचार और पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि यह फार्मिंग मॉडल पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है.

राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रभाव:

डॉ. त्रिपाठी की ये उपलब्धियां न केवल भारत की जैविक कृषि और पर्यावरण संरक्षण में क्रांति ला रही हैं बल्कि विश्वस्तर पर भी एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं. उनके कार्यों को 'ग्लोबल ग्रीन वॉरियर' पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

English Summary: University students and professors visited Dr Tripathi's farm to study agricultural innovations
Published on: 06 March 2025, 12:30 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now