केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के 15वें और आखिरी दिन गुजरात के बारडोली में किसान सम्मेलन को संबोधित किया. अभियान के समापन की औपचारिक घोषणा के साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज बेशक अभियान समाप्त हो रहा है, लेकिन किसानों से संपर्क और संवाद की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी. शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस कर्मभूमि पर आकर सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. आज ही के दिन 12 जून, 1928 को बारडोली सत्याग्रह के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बैठक की थी.
अंग्रेजों के किसानों पर 22 प्रतिशत टैक्स की वृद्धि के विरोध में उन्होंने संघर्ष छेड़ा था. महिलाओं ने इस सत्याग्रह में बड़ी हिस्सेदारी निभाई थी और यही से सरदार वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि से नवाजा गया. लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के कारण ही आज भारत एक है. 550 से ज्यादा देशी रियासतों का विलय करवाने में वल्लभ भाई पटेल की अतुलनीय भूमिका रही. गुजरात अनेकों महापुरुषों की स्थली है. संत, ऋषि, महर्षि, क्रांतिकारी और देश-दुनिया को दिशा देने वाले महात्मा गांधी इसी भूमि की देन हैं. हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री भी देश को गुजरात की ऐसी देन है, जिसके लिए पूरा देश गुजरात का ऋणी रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली भारत, एक गौरवशाली भारत, संपन्न भारत, एक समृद्ध भारत, एक शक्तिशाली और एक विकसित भारत का निर्माण हो रहा है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है. आज पूरे विश्व में भारत की मजबूत पहचान स्थापित हुई है. एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत की है. हर क्षेत्र के विकास के लिए अद्भुत कार्य किए हैं.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ के विजन को आगे बढ़ाने के लिए ही ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि का अर्थव्यवस्था में 18 प्रतिशत का योगदान है. आज भी आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. इस अभियान के अंतर्गत 16 हजार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों का गठन किया गया. वैज्ञानिकों की टीमों ने गांव-गांव जाकर किसानों से सीधा संवाद किया और उनतक शोध की सही जानकारी पहुंचाई. क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों और खेत की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किसानों को जानकारी दी गई. संतुलित उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की जानकारी दी. साथ ही किसानों की समस्याओं को सुनकर भविष्य में आगे शोध की दिशा तय करने का कार्य भी किया गया.
शिवराज सिंह ने गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गुजरात में प्राकृतिक खेती के प्रयास शानदार है, किसान चमत्कार कर रहे हैं. साथ ही यहां खेती में तकनीक का इस्तेमाल भी बड़े स्तर पर किया जा रहा है, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ पहुंचा है. गुजरात में धान, गेहूं, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन का उत्पादन होता है. अरंडी, जीरा, सौंप, खजूर जैसे विशिष्ट कृषि उत्पादों में गुजरात का स्थान प्रथम है. देश में 77 प्रतिशत अरंडी, 44.5 प्रतिशत मूंगफली, 24 प्रतिशत कपास, 15 प्रतिशत चना उत्पादन गुजरात द्वारा ही किया जा रहा है. खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के माध्यम से गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से तरक्की कर रहा है. गुजरात का किसान लगातार आगे बढ़ रहा है और देश को दिशा दिखाने का काम कर रहा है. गुजरात से कई उत्पादों का निर्यात होता है. खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के जरिए भी गुजरात के किसान उन्नति कर रहे हैं. बागवानी के क्षेत्र में भी गुजरात उन्नत है.
शिवराज सिंह ने कहा कि कई किसानों ने मुझसे प्राकृतिक खेती के संबंध में अनुभव साझा किए. किसानों द्वारा यह सुनकर प्रसन्नता हुई कि प्राकृतिक खेती से लागत घटती है और उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्राप्त होते हैं. खेती को उन्नत बनाने के छह सूत्र हैं – उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, किसानों को उत्पादन के ठीक दाम सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजा, कृषि विविधिकरण और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना.
शिवराज सिंह ने कहा कि आज भले की औपचारिक रूप से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ समाप्त हो रहा है, लेकिन यह अंत नहीं है. ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ की भावना के साथ लगातार किसानों के साथ संपर्क और संवाद किया जाएगा. खेती में उन्नत किस्मों का प्रयोग, मशीनीकरण, प्रति बूंद-अधिक फसल, सिंचाई में पानी का बेहतर उपयोग, नए बीजों के प्रयोग जरूरी है, जिस दिशा में आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि इस साल साढ़े सात लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा गया है. 18 लाख किसान इसके लिए तैयार भी हुए हैं. कृषि उन्नत हो और समृद्धि के साथ किसानों के चेहरे पर मुस्कान आए, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम दिन-रात प्रयास कर रहे हैं.
अंत में शिवराज सिंह चौहान ने अभियान के औपचारिक समापन की घोषणा करते हुए अभियान में उल्लेखनीय भागीदारी करने के लिए सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि मुझे बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि लगभग 1 करोड़ 12 लाख किसानों से इस अभियान के अंतर्गत संवाद किया गया है साथ ही 1 लाख से अधिक गांवों तक पहुंच सुनिश्चित हुई है. 55 हजार से ज्यादा जगह संवाद कार्यक्रम हुए. इस अभियान के दौरान ऐसे किसानों से भी मुलाकात हुई जिन्होंने नए नवाचारों और योजनाओं का लाभ लेकर अपनी आमदनी में 10 गुना तक का इजाफा किया है. ऐसे किसान वास्तव में वैज्ञानिक है, जिनसे मार्गदर्शन भी मिलेगा. ऐसे ही सब अनुभवों और प्रयासों को लेकर कृषि की आगे की नीतियां तय करेंगे और कृषि को बेहतर बनाएंगे.
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, गुजरात के कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल, श्रम व रोजगार मंत्री कुँवरजी हलपति, सांसद प्रभुभाई वासवा, मुकेश कुमार चंद्रकांत दलाल, विभिन्न क्षेत्रों के विधायक, जिला पंचायत के प्रमुख, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद -आईसीएआर के डीजी व कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. एम एल जाट, वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. इस अभियान के तहत गठित वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों ने भी वर्चुअली हिस्सा लिया.
इस देशव्यापी 15 दिवसीय अभियान की शुरुआत 29 मई को ओडिशा से हुई थी, जिसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने विभिन्न राज्यों का दौरा कर किसानों से किसान चौपालों, सम्मेलन और पदयात्रियों के माध्यम से संवाद किया. इस अभियान के तहत शिवराज सिंह चौहान ने ओडिशा, जम्मू, उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य-प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, गुजरात का दौरा किया.