Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 8 June, 2020 4:29 PM IST

2019 तक टायर की वैश्विक मांग प्रति वर्ष 4.1 प्रतिशत बढ़कर 3.0 अरब डॉलर होने का अनुमान था.  इसके अतिरिक्त, मूल्यों के संदर्भ में टायरों की बिक्री 7.0 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़कर 258 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद जताई गई थी.  (स्रोत: रबर जर्नल एशिया ) .  यदि इन संकेतकों का कुछ भी महत्व है, तो टायर उद्योग आने वाले वर्षों में स्थायित्वपूर्ण ढंग से बढ़ना पक्का है.  हालांकि 2020में कोविड-19 का प्रभाव अगले दो वर्षों तक इस वृद्धि को बाधित कर सकता है, जब तक कि वायरस का प्रभाव धीरे-धीरे कम न हो जाए और विश्व अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पुनर्जीवित होकर खुलने न लगे.

ज्यादातर भारतीय टायर विनिर्माताओं ने शुरूआत में यात्री और वाणिज्यिक वाहनों के टायरों पर ध्यान केंद्रित किया.  लेकिन जब कोयले (विश्व का तीसरा सबसे बड़ा भंडार), लौह अयस्क और अन्य खनिजों के उत्पादन  में तेजी लाने के लिए पिछले कुछ दशकों में अधिकाधिक ओपन-कास्ट माइनिंग खुलने लगे तब ऑफ-हाईवे टायर (OHT) की ओर भारतीय टायर विनिर्माताओं का ध्यान आकर्षित हुआ . इसके अलावा, 1980 के दशक में कृषि उत्पादन के मशीनीकरण के चलते  ट्रैक्टर और ट्रैक्टर / उपकरण के टायर की मांग  में तेजी आई.  वर्ष 2000 से जब बीकेटी टायर (BKT Tire) ने इस व्यवसाय पर फोकस किया, तब जाकर भारतीय उद्योग जगत का ध्यान OHT सेगमेंट पर गया. आज बीकेटी टायर (BKT Tire) ने एक ऐसे युग का सूत्रपात किया है जहाँ भारत मुख्यतः कृषि, निर्माण और खनन वर्गों, बंदरगाह आदि में ऑफ-हाइवे टायरों के विनिर्माण और उपभोग के अग्रणी केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है, और घरेलू एवं विदेशी, दोनों बाज़ार में व्यवसाय के अवसर उपलब्ध करा रहा है.  बाजार में विकास को बढ़ावा देने वाला प्रमुख कारक कोयला और अन्य खनिजों के उत्पादन में वृद्धि है, जिसने  उपकरणों की की मांग  पैदा की.  इससे ऑफ-हाईवे टायर वाहनों के उत्पादन और बिक्री में लगातार वृद्धि और उसके प्रतिस्थापन की मांग  में भी इजाफा हुआ है.

उद्योग लगातार बढ़ रहा है, और वैश्विक ओटीआर टायर बाजार के 2025 के आते-आते कुल 86.2 मिलियन यूनिट टायर की बिक्री होने का अनुमान है. अतीत की अभूतपूर्व विकास दर को आगे बढ़ाते हुए, वैश्विक ओटीआर टायर बाजार निश्चित रूप से भविष्य में मात्रा के संदर्भ में विकास की ओर अग्रसर होने के संकेत दे रहा है.  अनुमान है कि वैश्विक ओटीआर टायर बाजार में अकेले एशिया प्रशांत क्षेत्र का का हिस्सा 60 फीसदी  हो जाएगा.  (टेकसाई रिसर्च द्वारा टायर मार्केट आउटलुक 2023)

ओटीआर सेगमेंट, कई मायनों में एक ऐसे नायक की तरह है, जो चुपचाप अपना काम करता है.  वह इन उद्योगों को चलाता और जरूरी प्रोत्साहन देता है.  उन्हें मोटे तौर पर अर्थमूविंग और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्रियल टायर सेगमेंट में वर्गीकृत किया जा सकता है. उनका उपयोग इन क्षेत्रों में किए जाने वाले बहुत से कामों में किया जाता है.

ओटीआर टायर बाजार में दो प्रमुख माँगों वाले क्षेत्र - बायस और रेडियल टायर - शामिल हैं, जिनका बिक्री में सबसे ज्यादा योगदान है. जहां, बायस टायर वर्तमान बिक्री के एक बड़े हिस्से में योगदान करते हैं, वहीं, उद्योग के अर्थमूविंग / माइनिंग सेगमेंट में ऑल स्टील रेडियल टायरों के उपयोग में धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है.  खासकर जहां बड़े डंपर / लोडर अयस्कों की मात्रा को स्थानांतरित करने के लिए प्रचालन और सतत संचालन में हैं.

खनन इस उद्योग का शीर्ष क्षेत्र है और इसके संचालन को अंजाम देने में काफी कुछ टायरों की दक्षता पर निर्भर करता है.  वर्षों से खनन क्षेत्र ने ऑल स्टील रेडियल टायरों के क्रमिक सुधार और विकास के कारण उत्पादकता में वृद्धि और संचालन में उत्कृष्टता दिखाई दी है.  दुनिया भर में खनन फर्मों ने सतह के साथ-साथ भूमिगत खनन के लिए  भी 'ऑल स्टील रेडियल टायर्स' पर अपने उपयोग और निर्भरता में वृद्धि की है. ऑल स्टील रेडियल टायर्स अपने संचालन को बनाए रखने के लिए एकमात्र समाधान हैं और इसलिए इन की मांग  लगातार बढ़ रही है.

बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विनिर्माण उपकरण, सामग्रियों के रख-रखाव इत्यादि संबंधी मशीनों के लिए टायरों की भारी आवश्यकता है. भारत और दुनिया भर में बैकहो लोडर और हाइड्रोलिक उत्खननकर्ताओं की बढ़ती मांग  ने इस श्रेणी की मांग को काफी हद तक बढ़ा दी है.  इसके अलावा, सड़क निर्माण सेक्टर बुनियादी ढाँचा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तेजी से बढ़ रहा है और इस सेक्टर के अनेक कार्यों के लिए औद्योगिक विनिर्माण टायरों की मांग  बढ़ रही है.

भारत में, अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे का खर्च 9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो बिक्री में काफी वृद्धि करेगा, और निर्माण उद्योग में उपकरणों की मांग बढ़ाएगा, और इसके परिणामस्वरूप ओटीआर खंड भी एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार होगा.

उद्योग को भारी बढ़ावा देने की एक और वजह 2020 तक भारत के बंदरगाहों को बढ़ाने और सशक्त बनाने  की भारत सरकार की योजना है. बंदरगाह सामानों को इधर-उधर करने के लिए ओटीआर टायरों पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं और इसके चलते भारत में समग्र रूप से ओटीआर बिक्री में काफी तेजी आयेगी. भविष्य का जो नक्शा है, वह काफी व्यापक है.  ओटीआर खंड वास्तव में इसमें मदद कर सकता है, अपना रास्ता बना सकता है, और कई परस्पर सम्बद्ध उद्योगों के लिए भी भारी संभावनाएं पैदा कर  सकता है. जो लहर दिख रही है, वह उन संभावनाओं से भरी है, जो कल्पना से भी परे हैं. इसलिए उद्योग का भविष्य भी काफी उज्ज्वल दिख रहा है.

लेखक  श्री पी.के.गांगुली, विपणन प्रमुख (घरेलू विक्रय), बालकृष्णा इंडस्ट्रीज लिमिटेड (बीकेटी टायर)

English Summary: Understanding the dynamics of the Off - Highway tire ecosystem’
Published on: 08 June 2020, 04:32 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now