नॉएडा का ट्विन टावर भ्रष्टाचार की एक ऐसी कहानी है जो कि हमारे सिस्टम की सच्चाई को उजागर करता है और हमें बताता है कि जनता के पैसे को किस तरीके से कुछ लोग बेइंतहा लूटने की कोशिश करते हैं. नॉएडा के इस टावर को कल दिन में ढाई बजे चन्द सेकंडों में बारूद के ज़रिए ज़मीन में मिला दिया जायेगा. यह दो इमारतें हैं जिनमें एक 32 और दूसरी 29 मंजिला है. कल होने वाले ब्लास्ट के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
क्या है ट्विन टावर की पूरी कहानी?
ट्विन टावर को निजी क्षेत्र की कंपनी सुपरटेक के द्वारा बनाया गया है और इस टावर के बनने की कहानी आज से 18 साल पहले यानी कि 2004 में शुरू होती है. दरअसल, साल 2004 में नॉएडा के सेक्टर 93A में ग्रुप हाउसिंग के प्लॉट नंबर 4 पर 14 अलग- अलग टावर का निर्माण करने की अनुमति नोएडा अथॉरिटी के द्वारा दी गयी, लेकिन असली कहानी इसके बाद शुरू होती है. जब इस प्लाट पर निर्माण करने की मंजूरी दी गयी थी तब ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिला ही पास की गयी थी, लेकिन धीरे- धीरे कुछ लोगों की भूख बढ़ती गयी और साथ में कागजों पर टावर ऊँचा करने की अनुमति भी बढ़ती चली गयी और अंत में टावर की ऊँचाई 40 मंजिला हो गयी जिसके चलते मामला कोर्ट में गया और नतीजा आज हमारे सामने है.
टावर बनाने में आई थी इतनी लागत
ट्विन टावर को बनाने में प्रति वर्ग फुट 933 रुपए की लागत आई थी यानी कि कुल लागत 70 करोड़ रूपए आई थी और इसे ध्वस्त करने के लिए बहुत अच्छा खासा खर्चा किया जा रहा है. जैसे- प्रति वर्ग फुट के हिसाब से 237 रुपए खर्च किए जा रहे हैं कुल 20 करोड़ का खर्चा किया जा रहा है, जिसमें से लगभग 5 करोड़ रुपए कंपनी को देने होंगे.
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बिल्डिंग गिराने को लेकर कुछ आंकड़े
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बिल्डिंग गिराने के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए में कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को हायर किया गया है.
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बिल्डिंग गिरने के बाद लगभग 4,000 टन स्टील निकलने का अनुमान है, जिसे बेचकर कंपनी को भुगतान किया जाएगा.
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तीन हज़ार ट्रक मलबा निकलेगा जिसे साफ करने में लगभग तीन महीना का समय लगेगा.
ट्विन टावर में बिके थे इतने फ्लैट
ट्विन टावर में कुल फ्लैट 915 थे जिसमें से 633 फ्लैट की बुकिंग हो चुकी थी और एक फलैट की कीमत 1.13 करोड़ रुपये थी. यानी कि कंपनी ने लगभग 180 करोड़ रुपए कमाए थे जिन्हें 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लैटाने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है.