मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक मंगलवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया. मोदी सरकार ऐसा विपक्षी दलों में एकजुटता की कमी के चलते कराने में सफल रही. गौरतलब है कि एनडीए के कुछ सहयोगी दलों सहित विपक्ष की लगभग सभी पार्टियां शुरू से ही तीन तलाक बिल का विरोध करती रही हैं, लेकिन मंगलवार को इस पर राज्यसभा में वोटिंग हुई तो इनमें से कुछ दलों के नेता सदन से बाहर चले गए और कई सांसद किसी कारणवश अनुपस्थित रहे. हालांकि विपक्षी दलों के जो नेता सदन में मौजूद थे उन्होने इस विधेयक का जमकर विरोध किया. और विधेयक के विरोध में अपनी बात रखीं.
राज्यसभा में बिल पर बहस के दौरान वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई ने कहा कि मैं बिल का 6 कारणों से विरोध करता हूं. पहली वजह ये कि जब तलाक मान्य ही नहीं हो तो किस आधार पर गिरफ्तारी आदि का प्रावधान है? दूसरा, जब पति जेल में होगा तो वह गुजारा भत्ता कैसे देगा? तीसरी बात 3 साल की जेल से शादी के रिश्ते के दोबारा पनपने की संभावना बिल्कुल खत्म हो जाएगी. हालांकि वोटिंग के दौरान विजय साई सदन में अनुपस्थित थे.
वही एनसीपी सांसद माजिद मेमन ने भी इस बिल का जमकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि आप किसी को बगैर अपराध के 3 साल की सजा देने का प्रावधान बनाने जा रहे हैं, तलाक कहना कोई अपराध नहीं है. जेल में जाने के बाद भी शादी खत्म नहीं होगी और महिला को गुजारा भत्ता के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाना होगा. इस दरमियाँ जेल में रह रहा पति कैसे पत्नी को गुजारा भत्ता दे पाएगा, ऐसे में कानून फेल हो गया. यह विधयेक मुस्लिम घरों की तोड़ने की कोशिश है और बर्बादी की ओर बढ़ाने वाला है. इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहिए और यह विधयेक पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 242 सदस्यों वाली राज्यसभा में भाजपा के 78 और कांग्रेस के 48 सांसद हैं. बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था, लेकिन सांसदों की बड़ी संख्या में अनुपस्थिति की वजह से सदन में भाजपा की स्थिति मजबूत हो गई और वह बिल आसानी से पास कराने में सफल रही. जो दल वॉकआउट कर गए उनमें अन्नाद्रमुख, जेडीयू के सभी संसद तो वही बसपा के 4, सपा के सात, एनसीपी के 2, पीडीपी के 2, कांग्रेस के 5, टीएमसी, वामपंथियों पार्टियों, आरजेडी, डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस के एक-एक सांसद अनुपस्थित रहे.