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Updated on: 16 February, 2023 5:10 PM IST
आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

आज़ादी के अमृत महोत्सव में आदि महोत्सव देश की आदि विरासत की भव्य प्रस्तुति कर रहा है. देश की आदिवासी परंपरा की इस गौरवशाली झांकी को अगर आप भी देखना चाहते हैं तो दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में जाकर इसका आनंद ले सकते हैं.

आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

पीएम मोदी ने किया आदि महोत्सव का उद्घाटन

आदि महोत्सव में तरह-तरह के रसतरह-तरह के रंग! खूबसूरत पोशाकें, गौरवमयी परम्पराएं! भिन्न-भिन्न कलाएंभिन्न-भिन्न कलाकृतियां! भांति-भांति के स्वादतरह-तरह का संगीत जैसे भारत की अनेकताउसकी भव्यताकंधे से कंधा मिलाकर एक साथ खड़ी हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि महोत्सव का उद्घाटन कर इसका शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने देशवासियों को संबोधित भी किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आदिवासी किसान, आदिवासी महिला और आदिवासियों के महत्व के बारे में देशवासियों को बताया. इसका मुख्य अंश हम इस लेख में पेश कर रहे हैं. 

भारत की विरासत व गौरव है आदिवासी परंपरा

पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि ये आदि महोत्सव ‘विविधता में एकता’ हमारे उस सामर्थ्य को नई ऊंचाई दे रहा है. ये ‘विकास और विरासत’ के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है. आज भारत पूरी दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर जाता है तो आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है.

आज जब sustainable development की बात होती हैतो हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया को हमारे आदिवासी समाज से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. हम कैसे पेड़ों सेजंगलों सेनदियों सेपहाड़ों से हमारी पीढ़ियों का रिश्ता जोड़ सकते हैंहम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसे संरक्षित करते हैंउसका संवर्धन करते हैंइसकी प्रेरणा हमारे आदिवासी भाई-बहन हमें लगातार देते रहते हैं और यही बात आज भारत पूरे विश्व को बता रहा है.

आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

बैम्बू से बने उत्पादों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी

आज भारत के पारंपरिक और ख़ासकर जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले प्रॉडक्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है. आज पूर्वोत्तर के प्रॉडक्ट्स विदेशों तक में एक्सपोर्ट हो रहे हैं. आज बैम्बू से बने उत्पादों की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हो रही है. आपको याद होगापहले की सरकार के समय बैम्बू को काटने और उसके इस्तेमाल पर कानूनी प्रतिबंध लगे हुये थे. हम बैंम्बू को घास की कैटेगरी में ले आए और उस पर सारे जो प्रतिबंध लगे थेउसको हमने हटा दिया. इससे बैम्बू प्रॉडक्ट्स अब एक बड़ी इंडस्ट्री का हिस्सा बन रहे हैं. ट्राइबल प्रॉडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा बाज़ार तक आयेंइनकी पहचान बढ़ेइनकी डिमांड बढ़ेसरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है.

3 हजार से ज्यादा वनधन विकास केंद्र किए गए स्थापित

वनधन मिशन का उदाहरण हमारे सामने है. देश के अलग-अलग राज्यों में 3 हजार से ज्यादा वनधन विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं. 2014 से पहले ऐसे बहुत कमलघु वन उत्पाद होते थेजो MSP के दायरे में आते थे. अब ये संख्या बढ़कर 7 गुना हो गई है.

अब ऐसे करीब 90 लघु वन उत्पाद हैंजिन पर सरकार मिनिमम सपोर्ट एमएसपी प्राइस दे रही है. 50 हजार से ज्यादा वनधन स्वयं सहायता समूहों के जरिए लाखों जनजातीय लोगों को इसका लाभ हो रहा है. देश में जो स्वयं सहायता समूहों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार हो रहा हैउसका भी फायदा आदिवासी समाज को हुआ है. 80 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूहसेल्फ़ हेल्प ग्रुप्सइस समय अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं. इन समूहों में सवा करोड़ से ज्यादा ट्राइबल मेम्बर्स हैंउसमें भी हमारी माताएं-बहनें हैं. इसका भी बड़ा लाभ आदिवासी महिलाओं को मिल रहा है.

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पारंपरिक कारीगरों के लिए पीएम-विश्वकर्मा योजना की शुरुआत

आज सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करनेजनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है. इस बार के बजट में पारंपरिक कारीगरों के लिए पीएम-विश्वकर्मा योजना शुरू करने की घोषणा भी की गई है. PM-विश्वकर्मा के तहत आपको आर्थिक सहायता दी जाएगीस्किल ट्रेनिंग दी जाएगीअपने प्रॉडक्ट की मार्केटिंग के लिए सपोर्ट किया जाएगा. इसका बहुत बड़ा लाभ हमारी युवा पीढ़ी को होने वाला है. और साथियोंये प्रयास केवल कुछ एक क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं. हमारे देश में सैकड़ों आदिवासी समुदाय हैं. उनकी कितनी ही परंपराएं और हुनर ऐसे हैंजिनमें असीम संभावनाएं छिपी हैं. इसलिएदेश में नए जनजातीय शोध संस्थान भी खोले जा रहे हैं. इन प्रयासों से ट्राइबल युवाओं के लिए अपने ही क्षेत्रों में नए अवसर बन रहे हैं.

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एकलव्य मॉडल अवासीय विद्यालयों की संख्या में वृद्धि

आज देश में एकलव्य मॉडल अवासीय विद्यालयों की संख्या में 5 गुना की वृद्धि हुई है. 2004 से 2014 के बीच 10 वर्षों में केवल 90 एकलव्य आवासीय स्कूल खुले थे. लेकिन2014 से 2022 तक इन 8 वर्षों में 500 से ज्यादा एकलव्य स्कूल स्वीकृत हुये हैं. वर्तमान मेंइनमें 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है. 1 लाख से ज्यादा जन-जातीय छात्र-छात्राएँ इन नए स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं. इस साल के बजट में ऐसे स्कूलों में करीब-करीब 40 हजार से भी ज्यादा शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती की भी घोषणा की गई है. अनुसूचित जनजाति के युवाओं को मिलने वाली स्कॉलरशिप में भी दो गुने से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है. इसका लाभ 30 लाख विद्यार्थियों को मिल रहा है.

आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

आदिवासियों के लिए बढ़ाया गया 5 गुना बजट

इस साल के बजट में अनुसूचित जनजातियों के लिए दिया जाने वाला बजट भी 2014 की तुलना में 5 गुना बढ़ा दिया गया है. आदिवासी क्षेत्रों में बेहतर आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है. आधुनिक connectivity बढ़ने से पर्यटन और आय के अवसर भी बढ़ रहे हैं. देश के हजारों गांवजो कभी वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थेउन्हें अब 4G connectivity से जोड़ा जा रहा है.

यानीजो युवा अलग-थलग होने के कारण अलगाववाद के जाल में फंस जाते थेवो अब इंटरनेट और इन्फ्रा के जरिए मुख्यधारा से कनेक्ट हो रहे हैं. ये ‘सबका साथसबका विकाससबका विश्वास और सबका प्रयास’ इसकी वो मुख्‍य धारा है जो दूर-सुदूर देश के हर नागरिक तक पहुंच रही है. ये आदि और आधुनिकता के संगम की वो आहट हैजिस पर नए भारत की बुलंद इमारत खड़ी होगी.

आदि महोत्सव का आज से आगाज, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

मोटे अनाज को बढ़ावा देने से बढ़ेगी आदिवासी किसानों की आय

इस वर्ष पूरा विश्व भारत की पहल पर इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर भी मना रहा है. मिलेट्स जिसे हम आमतौर की भाषा में मोटे अनाज के रूप में जानते हैंऔर सदियों से हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के मूल में ये मोटा अनाज था. और हमारे आदिवासी भाई-बहन के खानपान का वो प्रमुख हिस्सा रहा है. अब भारत ने ये मोटा अनाज जो एक प्रकार से सुपर फूड हैइस सुपर फूड को श्रीअन्न की पहचान दी है. जैसे श्रीअन्न बाजराश्रीअन्न ज्वारश्रीअन्न रागीऐसे कितने ही नाम हैं. यहाँ के महोत्सव के फूड स्टॉल्स पर भी हमें श्रीअन्न का स्वाद और सुगंध देखने को मिल रहे हैं. हमें आदिवासी क्षेत्रों के श्रीअन्न का भी ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करना है. इसमें लोगों को स्वास्थ्य का लाभ तो होगा हीआदिवासी किसानों की आय भी बढ़ेगी.

English Summary: Tribal Festival 2023: Aadi Mahotsav begins, PM Modi inaugurated, see photos
Published on: 16 February 2023, 05:37 PM IST

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