भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 02 सितम्बर 2025 को तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘बदलते जलवायु के परिदृश्य में कदन्न उत्पादन एवं प्रसंस्करण’ का शुभारंभ हुआ. यह प्रशिक्षण विशेष रूप से बदलते जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में कदन्न (मोटे अनाज) की बढ़ती प्रासंगिकता पर केन्द्रित है.
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने शुभारंभ सत्र में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि “कदन्न कम पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता है और यह पोषण सुरक्षा का सशक्त साधन है.” उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि संस्थान से हर संभव तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाएगा. साथ ही उन्होंने आत्मा गया जी को वित्तीय सहायता के लिए आभार प्रकट किया.
डॉ. संजीव कुमार, प्रभागाध्यक्ष, फसल अनुसंधान-सह-पाठ्यक्रम निदेशक ने कहा कि “कदन्न समय की मांग है, किसानों को इसके उत्पादन और प्रसंस्करण में सक्रिय रूप से आगे आना होगा.” वहीं डॉ. राकेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक-सह-पाठ्यक्रम निदेशक ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण की विस्तार रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि किसानों को कदन्न की उपयुक्त किस्मों, मानक कृषि प्रबंधन, रोग एवं कीट नियंत्रण, मूल्य संवर्धन और प्रसंस्करण तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी.
प्रशिक्षण में किसानों को वर्षभर चारा उत्पादन हेतु उपयुक्त कदन्न फसलें, तथा उच्च आय एवं पोषण सुरक्षा से जुड़ी तकनीकों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. कार्यक्रम में संस्थान के प्रभागाध्यक्षों (डॉ. आशुतोष उपाध्याय, डॉ. कमल शर्मा, डॉ. संजीव कुमार एवं डॉ. उज्ज्वल कुमार) ने बदलते जलवायु के परिदृश्य में कदन्न उत्पादन एवं प्रसंस्करण के बारे में अपने-अपने विचार साझा किए.
इस अवसर पर गया जी जिले के विभिन्न प्रखंडों से 30 किसानों ने सक्रिय भागीदारी की. कार्यक्रम को सफल बनाने में पाठ्यक्रम समन्वयकों (डॉ. संतोष कुमार, डॉ. पी. के. सुंदरम, डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. अभिषेक कुमार दूबे, डॉ. कुमारी शुभा एवं डॉ. गौस अली) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.
कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन डॉ. अभिषेक कुमार दुबे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अभिषेक कुमार द्वारा प्रस्तुत किया गया.