सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 28 September, 2020 3:14 PM IST

बिहार के हाजीपुर की महिलाएं प्रधानमंत्री के कहे अनुसार आपदा में अवसर खोजने लगी है. दरअसल यहां की रहने वाली वैशाली प्रिया ने गन्ने और केले की फसलों से कपड़ा बनाने का तरीका खोज निकाला है. क्षेत्र के लोगों के लिए यह काम कुछ नया होने के बावजूद भी विशेष है.

डंठल से बन रहा फाइबर

कपड़ा बनाने के लिए जिस फाइबर की जरूरत है, उसे वैशाली केले के डंठल से बनाती है. इस काम में उनका सहयोग फैशन जगत से जुड़े लोग भी कर रहे हैं.

कचरे का सही उपयोग

महिलाओं ने बताया कि आम तौर पर केले या गन्नों के डंठल को बेकार समझा जाता है, लेकिन यहां पर इनके कचरों का उपयोग फाइबर बनाने के लिए किया जाएगा. इस काम से क्षेत्र में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.यहां की महिलाओँ को काम के साथ फैशन और आर्ट की अच्छी समझ है, यही कारण है कि अपने हुनर से बेस्ट क्वालिटी के साथ-साथ इन्होंने यहां के मॉडर्न और पारंपरिक संस्कृति को भी कपड़ों पर उतारा है.

विश्व स्तर पर है कपड़ों की मांग

कपड़ों में जहां एक तरफ आधुनिकता की झलक है, वहीं बिहार की पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग की कलाकृतियां भी है. इन कपड़ों को भारतीय बाजारों के अलावा यूरोपियन बाजारों में भी बेचा जा रहा है. वहां भी इसकी मांग बढ़ रही है.

बड़े सफर की छोटी शुरूआत

वैशाली ने इस प्रोजेक्ट को 'सुरमई बनाना एक्सट्रेक्शन प्रोजेक्ट' के नाम से शुरू किया है. कपड़ा बनाने के इस काम में लगभग सभी क्रियाएं ऑर्गेनिक और नेचुरल ही है. इस काम का ख्याल कैसे आया, इसके जवाब में वैशाली कहती है कि शुरूआत इतनी बड़ी सोच के साथ तो नहीं की थी. शुरू में 30 महिलाओं के साथ स काम को शुरू किया था, लेकिन फिर मांग बढ़ने के साथ-साथ काम बढ़ता गया और नए-नए विचारों के साथ लोग जुड़ते गए.

कृषि विज्ञानं केंद्र से मिली मदद

वैशाली को इस काम के लिए जिस तरह के संसाधनों की जरूरत थी, वो सभी हरिहरपुर के कृषि विज्ञान केंद्र से मिल गई. मशीन के साथ-साथ केंद्र ने मजदूरों को प्रशिक्षण भी दिया. वैशाली बताती हैं कि केले की फसल कटने के बाद बड़ी मात्रा में कचरा बचा जाता है, किसानों को लगता है कि ये बेकार है, इसलिए वो इसका मूल्य नहीं समझते, लेकिन अब फसल कटने के बाद बड़ी मात्रा में कचरे की कीमत भी बढ़ गई है.

English Summary: this women of bihar successfully make clothes with the help of organic waste know more about it
Published on: 28 September 2020, 03:18 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now