आम के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। इस बार बाज़ार में खूब आम दिखेंगे। दशहरी, लंगड़ा, बाम्बेग्रीन और आम्रपाली आम जैसी वैराइटी की बहुतायत आम राज्य में आम के बगीचो में दिख रही है। ये सब इसलिए हुआ है क्योंकि इस बार आंधी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा जनवरी से लेकर अब तक कम हुई है। इससे अब उद्यानिकी से जुड़े एक्सपर्ट व वैज्ञानिकों को उम्मीद जगी है कि इस बार राज्य में आम की ज्यादा पैदावार होगी। अच्छी फसल होने का फायदा यह होगा कि यहां के बाज़ार में आम ज्यादा समय तक दिखेंगे।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश समेत अन्य जगहों के आम अगले महीने से बाज़ार में दिखने लगेंगे। इस साल फरवरी महीने में मौसम में आए अचानक बदलाव से आम की फसल को लेकर खतरा उत्पन्न हुआ था, क्योंकि तब फसलों में फूल लगे थे।
इसे लेकर कृषि विश्वविद्यालय के उद्यानिकी एक्सपर्ट डॉ. जी. एल. शर्मा ने बताया कि फरवरी में अचानक बिगड़े मौसम से आम की फसल पर भभूतिया रोग और कीट के प्रकोप की आशंका बढ़ी थी। लेकिन मौसम दूसरे दिन ही खुल गया। इसलिए स्थिति संभल सकी।
अब अप्रैल में एक बार मौसम का डर है। इसमें सब ठीक रहा तो बाज़ार में आम ही आम दिखेंगे। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश समेत दक्षिण भारत के अन्य जगहों का आम जल्दी ही बाज़ार में दिखने लगेंगे। तोतापरी, बैंगनफल्ली समेत अन्य इनमें प्रमुख हैं। छत्तीसगढ़ की दशहरी मई में बाज़ार में आएगी। यह राज्य के अलावा उत्तर प्रदेश भी भेजी जाती है। 15 जुलाई के करीब उत्तर प्रदेश के दशहरी आम फिर छत्तीसगढ़ में आते है। इसलिए बाज़ार में जुलाई और अगस्त में भी यह आम अधिक मात्रा में रहते हैं। राज्य में आम का एरिया 77,286 हेक्टेयर है। पिछले साल आम के प्रोडक्शन की बात करे तो इसकी मात्रा 4,58064 मिट्रिक टन थी।
तमिलनाडु में सबसे पहले आम
आम को लेकर अधिकारियों का कहना है कि देश के नक्शे में जो राज्य सबसे नीचे है वहां आम सबसे पहले आता है। इसी क्रम में यह बढ़ता जाता है। इस तरह से सबसे पहले तमिलनाडु में आम आता है। वहां के बाज़ार में फरवरी के आखिरी सप्ताह से तोतापरी आम मिलने लगी थी।इसी तरह से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में भी आम अप्रैल से आने शुरू हो जाते हैं। इसके बाद छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्य में यह फसल आती है।
इन जगहों के आम मिलते है छत्तीसगढ़ में
उद्यानिकी एक्सपर्ट ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सब से ज्यादा देसी आम, दशहरी, लंगड़ा, बाम्बेग्रीन और आम्रपाली आम की ज्यादा फसल ली जाती है। इसी तरह देश के हर क्षेत्र से अलग-अलग वैराइटी के आम मिलते हैं।तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत अन्य मे तोतापरी, नीलम समेत अन्य आम की वैराइटी प्रमुख हैं। मार्च से जून तक यहां आम दिखते हैं। इसी तरह महाराष्ट्र व गुजरात में अल्फांसो, केसर, पायरी व राजापुरी प्रमुख हैं। मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश में दशहरी, लंगड़ा, चौसा व बाम्बेग्रीन। उड़ीसा, बंगाल में कृष्णाभोग, मालदा आम की फसल के लिए यह मौसम अनुकूल है। एक-डेढ़ महीने ऐसी ही स्थिति रहेगी तो पिछले साल की तुलना में इस बार फसल अच्छी होगी।उद्यानिकी कार्य व व्यापारिक कार्यों मे थोक व छोटे विक्रेतओं को मुनाफा प्रप्ता करने का सुनेहरा मौका मिल सकता है।
हमारे लेखक श्री सौरभ दास जी रायपुर के इंदिरा़ गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एम.टेक.( मृदा और जल अभियांत्रिकी) के छात्र हैं। साथ ही ये मृदा और जल अभियांत्रिकी से जुड़े विषयों पर शोध कार्य कर रहें हैं।
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