इस स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त 2022, भारत को आज़ादी मिले हुए पूरे 75 साल पूर्ण हो रहे हैं. भारत को अंग्रेजों से आजादी पाने में पूरे 200 साल का समय लगा था. भारत की आजादी के लिए न जाने कितने लोगों ने अपनी जान की बाजी लगा दी. इसी उपलक्ष्य पर भारत यह साल आजादी के अमृत महोत्सव के रुप में माना रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा फहराने व सोशल मीडिया में तिरंगे की फोटो लगाने की अपील की है.
हर घर तिरंगा अभियान
इस साल देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसे लेकर देश में 13 से 15 अगस्त तक हर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान देश के 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने का लक्ष्य मोदी सरकार की तरफ से रखा गया है.
इसके साथ ही पीएम मोदी ने मन की बात के 91वें संस्करण में देशवासियों से अपील की है कि सभी लोग 2 अगस्त से 15 अगस्त के बीच सोशल मीडिया अकाउंट में तिरंगे की डीपी (Display Picture) लगाकर इस अभियान को और सश्क्त बनाएं.
लाल किले में क्यों फहराया जाता है तिरंगा
हर साल 15 अगस्त के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराकर देश को संबोधित करते हैं. 15 अगस्त 1947 को, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया और तभी से यह प्रथा चलती आ रही है. स्वतंत्रता के बाद, भारत और पाकिस्तान के उदय के साथ, ब्रिटिश भारत धार्मिक आधार पर विभाजित हो गया.
आजादी के इस पर्व पर पूरे भारत में ध्वजारोहण समारोह, परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. भारतीय इस दिन को अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करके और देशभक्ति की फिल्में देखकर, परिवार और दोस्तों के साथ देशभक्ति के गीत सुनकर आजादी का जश्न मनाते हैं.
200 साल बाद मिली भारत को आजादी
भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिलने में पूरे 200 साल का समय लगा. आजादी तो हमें जरूर मिली, लेकिन यह आजादी पाने के लिए भारत ने लाखों लोगों की कुर्बानी भी देखी. स्वतंत्र भारत के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, बालगंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी देश कभी नहीं भूल सकता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लौहा लेते हुए अपनी जान दे दी.
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भारत पाकिस्तान विभाजन
आजादी से पहले पाकिस्तान भारत का ही हिस्सा हुआ करता था. अंग्रेजों ने भारत को आजादी तो दी मगर वह साथ में घर्म के आधार पर भारत और पाकिस्तान का विभाजन करके चले गए. विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे हुए और सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं. मानव जाति के इतिहास में कभी भी विभाजन के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन नहीं हुआ. यह संख्या करीब 1.45 करोड़ थी. भारत की 1951 की जनगणना के अनुसार, 72,49,000 हिंदू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए और 72,26,000 मुसलमानों ने भारत छोड़ दिया और विभाजन के तुरंत बाद पाकिस्तान चले गए.