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Updated on: 26 July, 2019 4:46 PM IST

आज़ देशभर में हर्ष एवं उल्लास के साथ कारगिल युद्ध विजय दिवस का 20वां वर्षगांठ मनाया जा रहा है. कारगिल की फिजाएं  आज़ विजयी विश्व तिरंगा प्यारा के उद्घोष से गूंज रही है. राष्ट्र में अमन है, शांति है,  संविधान और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र फल-फूल रहा है. खेल से लेकर अंतरिक्ष तक में सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी गीत के बोल सत्य प्रमाणित हो रहे हैं. लेकिन खुशी के इस सुनहरे मौके पर हमें नहीं भूलना चाहिए कि वो कौन लोग थे, जिन्होंने अपने रक्त का कतरा-कतरा राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर खुशी से न्यौछावर कर दिया.

आज गगन में स्वच्छंद होकर हमारा तिरंगा सैनिकों के असंख्य बलिदानों के कारण ही लहरा रहा है. बता दें कि वैसे तो कारगिल में लड़ने वाले हमारे हर वीर सैनिक इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं लेकिन 1999 की उस लड़ाई में कुछ सैनिक ऐसे भी थे, जिनका लोहा खुद पाकिस्तान ने भी माना. आइये, आज़ कारगिल विजय दिवस पर हम आपको बताते हैं उन सैनिकों के बारे में जिन्होनें दुश्मन के नापाक इरादों पर पानी फेरते हुए फतह हांसिल कर ली थी.

कैप्टन विक्रम बत्रा:

13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी को कौन नहीं जानता. जंग से पहले उन्होंने अपने परिवार से कहा था कि "या तो मैं तिंरगा फहराकर वापस आऊंगा, या तिरंगे में लिपटकर वापस आऊंगा." भारत के इस शेर ने अपनी दोनों ही बाते सत्य साबित की. जंग के मैदान में जहां विक्रम ने एक के बाद एक कई सामरिक महत्व की चोटियों पर फतह हासिल की, तो वहीं एक घायल साथी अधिकारी की मदद करते हुए शहीद हो गए। मां भारती के इस सच्चे सपूत को अदम्य साहस व बलिदान के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्रसे सम्मानित किया गया।

कैप्टन अनुज नायर:

17 जाट रेजिमेंट के बहादुर कैप्टन अनुज नायर के नाम से ही दुश्मन फौज पानी भरती थी. उन्होंने टाइगर हिल्स सेक्टर पर अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए वन पिंपलकी अनोखी लड़ाई की. अपने 6 साथियों के शहीद होने के बाद भी वह मोर्चे पर डंते रहे, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना इस सामरिक चोटी पर भी वापस कब्जा करने में सफल रही। मरणोपरांत भारत के दूसरे सबसे बड़े सैनिक सम्मान महावीर चक्रसे उन्हें नवाजा गया।

मेजर पद्मपाणि आचार्य:

राजपूताना राइफल्स के मेजर पद्मपाणि आचार्य ने दुश्मनों के खेमें में तबाही मचा दी थी. बिजली की रफ्तार से आगे बढ़ते हुए उन्होंने एक के बाद एक दुश्मनों के अड़्डों को नेस्तानाबूत कर दिया. शहीद मेजर पद्मपाणि आचार्य को भी महावीर चक्रसे सम्मानित किया गया।

लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय:

1/11 गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय आज़ भी लोगों के जह़न में जिंदा हैं. गोरखा पलटन को साथ लेकर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में वो काली माता की जयके नारे लगाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़ें थें. उनके साथी बताते हैं कि लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय का शौर्य एवं प्रकारम ऐसा था मानों भद्र काली सव्यं युद्ध क्षेत्र में तांडव कर रही हो. कई दुश्मनी बंकरों को नष्ट करने एवं जीवन के अंतिम क्षणों में भी अपने साथियों को पीछे ना छोडने के लिए, उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्रसे सम्मानित किया गया।

English Summary: they are the real heroes of kargil war 20 years of kargil vijay diwas
Published on: 26 July 2019, 04:49 PM IST

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