आपने बेशुमार ऐसी ख़बरें पढ़ी होंगी जो किसानों की बदहाली बयां करती हो, लेकिन आज हम आपको जिस खबर से रूबरू कराने जा रहे हें, वो किसानों की बदहाली नहीं बल्कि उनकी समृद्धि को बयां कर रही हैं. बता दें कि अभी हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अनुमान जताते हुए कहा कि इस वर्ष कृषि क्षेत्र में चावल सहित अन्य फसलों के ताबड़तोड़ उत्पादन की बात कही गई है. आंकड़ों के मुताबिक, किसानों को चावल सहित अन्य फसलों का अत्याधिक उत्पादन इस वर्ष होगा. आप इसकी अधिकता का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं कि ये इस वर्ष अपने सारे रिकॉर्ड को तोड़ डालेगा. खैर, अब मंत्रालय का ये आंकड़ा कहां तक कारगर साबित हो पाता हैं. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार का विशेष ध्यान गांव, किसान, ग्रामीण इलाकों पर है. हमारा मानना है कि अगर हम अपने गांव को समृद्ध करेंगे तो हमारा देश स्वत: विकास के पथ पर अग्रसर होगा.
एक नजर इन आंकड़ों पर ..
वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों पर अगर गौर फरमाएं, तो इस वर्ष खाद्दान का उत्पादन 303.34 मिलयन पर जाएगा.
अग्रिम अनुमानों के अनुसार
खाद्यान्न – 303.34 मिलियन टन (रिकार्ड)
चावल – 120.32 मिलियन टन (रिकार्ड)
गेहूं– 109.24 मिलियन टन (रिकार्ड)
पोषक/मोटा अनाज– 49.36 मिलियन टन
मक्का – 30.16 मिलियन टन(रिकार्ड)
दलहन – 24.42 मिलियन टन
तूर – 3.88 मिलियन टन
चना –11.62 मिलियन टन(रिकार्ड)
तिलहन – 37.31 मिलियन टन
मूंगफली – 10.15 मिलियन टन(रिकार्ड)
सोयाबीन – 13.71 मिलियन टन
रेपसीड एवं सरसों– 10.43 मिलियन टन(रिकार्ड)
गन्ना – 397.66 मिलियन टन
कपास – 36.54 मिलियन गांठें (प्रति 170 कि. ग्रा.)
पटसन एवं मेस्टा – 9.78 मिलियन गांठें (प्रति 180 कि. ग्रा.)
खैर, अब मंत्रालय द्वारा जताया जा रहा, यह अनुमान कहां तक कारगर साबित हो पाता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही तय करेगा. वहीं, मौजूदा दौर में किसानों के सुरत-ए-हाल कि बात करें तो अभी पंजाब, हरियाणा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का केंद्र सरकार द्वारा लागू किए तीनों कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया जा रहा है. आंदोलनकारी किसानों का सरकार से मांग है कि वे इन कानूनों को वापस ले, मगर सरकार का दो टूक कहना है कि यह कानून किसानों के हित के लिए हैं, लिहाजा इन्हें वापस नहीं लिया जा सकता है, जिसके चलते किसान संगठन व सरकार के बीच विगत कई महीनों से गतिरोध बना हुआ है.