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Updated on: 2 December, 2021 3:32 AM IST

रबी सीजन में सरसों की खेती अधिकतर किसान करते हैं. इसकी खेती किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है. सरसों की खेती (MUSTARD CULTIVATION) सिंचित क्षेत्र और संरक्षित इलाकों में की जा सकती है.

यह फसल कम लागत और कम सिंचाई सुविधा में अधिक लाभ दे सकती है. इसकी बुवाई अकेले या अन्य फसलों के साथ कर सकते हैं. संवेदनशील सरसों की खेती में बदलते मौसम की वजह से कई प्रकार के रोग और कीट का प्रकोप होने की आशंका रहती है. जैसा कि अब सर्दी का मौसम शुरू हो गया है. ऐसे में सरसों की फसलों पर पाला पड़ने से चेपा कीट भी लगने लगा है, जो किसानों की चिंता बढ़ा रहा है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले के किसानों ने कई प्रकार की सब्जी जैसे आलू, टमाटर, बैंगन आदि के साथ खेती का रखी है. मगर पाला पड़ने से नुकसान की आशंका बनी हुई है. ऐसे में किसानों को फसलों से भारी नुकसान ना हो, इसलिए इस रोग के प्रति काफी सचेत रहना होगा .

क्या हैं कृषि वैज्ञानिक का कहना (What Is The Say Of Agricultural Scientist)

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि  अभी पाला पड़ने से ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा है, लेकिन अगर यह जारी रहता है, तो फिर प्रकृति के प्रकोप से बचना भी मुश्किल होगा. उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने अभी टमाटर की पौध खेतों में लगा रखी है, उन्हें इसके तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देना चाहिए. वहीं, दूसरी खड़ी फसलों में भी हल्की सिंचाई के बाद पाला का प्रभाव कम हो जाएगा.

इस खबर को भी पढ़ें - भारत में सरसों की लोकप्रिय किस्में और इसकी खेती के लिए अनुकूल स्थितियां

चेपा कीट की रोकथाम (Chepa Pest Prevention)

जब इस कीट का प्रकोप दिखाई दे, तब टहनियों के प्रभावित हिस्सों को कीट सहित तोड़कर नष्ट कर दें. अगर कीटों का आक्रमण 20% पौधों पर हो जाए या औसतन 13-14 कीट प्रति पौधा हो जाए, तो सायं के समय साग के लिए उगाई गई फसल पर 250 से 500 मि.ली. मेलाथियान 50 ई.सी. को 250 से 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़क दें. अगर आवश्यकता हो, तो दूसरा छिड़काव 7 से 10 दिन के अंतराल पर करें.

चेपा कीट के लक्षण (Symptoms Of Chapa's Disease)

  • सरसों में दूसरा कीट माहू यानी चेपा मुख्य होता है.

  • यह कीट आकार में छोटे, मुलायम, सफेद होते हैं.

  • यह फसलों की पत्तियों, फूलों, डंठल और फलियों पर चिपक जाते हैं. इसके बाद रस चूसकर पौधों को कमजोर बना देते हैं.

  • इस कीट के प्रकोप से पौधे पीले और कमजोर हो जाते हैं, साथ ही फलियों की संख्या कम होने लगती हैं.

  • इस कीट का प्रकोप दिसम्बर-जनवरी से लेकर मार्च तक बना रहता है और बादल घिरे रहने पर इसका प्रकोप तेजी से होता है.

English Summary: there is a risk of disease on mustard crop due to increasing frost, agricultural scientists inspected
Published on: 02 December 2021, 05:05 PM IST

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