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Updated on: 10 March, 2023 5:51 PM IST
अमृतकाल की चुनौतियों पर विजय पाना लक्ष्य- तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दुनिया का सबसे बड़ा व व्यापक अनुसंधान संस्थान है. संस्थान की अब तक की प्रगति प्रशंसनीय है. चाहे उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करना हो, उत्पादकता बढ़ानी हो या जलवायु अनुकूल फसलें उत्पन्न करने की चुनौती हो, हर क्षेत्र में हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. प्राचीन काल में परंपरागत खेती के बाद कृषि के क्षेत्र की प्रगति में किसानों के परिश्रम के साथ ही वैज्ञानिकों का अनुसंधान मील का पत्थर साबित हुआ है. अब तक यह यात्रा संतोषजनक रही है, लेकिन देश को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने के लिए वर्ष 2047 तक अमृत काल की चुनौतियों का समाधान, उन पर विजय प्राप्त करना हमारा लक्ष्य है.

केंद्रीय मंत्री  तोमर ने यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सोसाइटी की 94वीं आम बैठक को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत का वर्चस्व दुनियाभर में बढ़ रहा है, इसके साथ ही हमसे अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं. 2047 तक नए भारत को गढ़ने का लक्ष्य है. नए भारत के लिए नया विज्ञान, अनुसंधान, नया कौशल तथा नया इनोवेशन चाहिए क्योंकि आने वाला कल नए भारत का है. इसके लिए भारत सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नित-नए मंत्रों के आधार पर काम कर रही है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारा मूलमंत्र है, किसी को न छोड़ते हुए लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते जाना. पूर्व प्रधानमंत्री स्व.  लालबहादुर शास्त्री जी ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान. तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.  अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसमें विज्ञान को जोड़ा और हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने इसमें अनुसंधान भी जोड़ दिया है. हमारे लिए यह मंत्र बन गया है- जय जवान जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान.

तोमर ने कहा कि देश के समग्र और संतुलित विकास को आगे बढ़ाया जा रहा है. जब समग्र विकास की बात करें तो कृषि का क्षेत्र देश के बैकबोन की तरह है. इसे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है. जलवायु परिवर्तन जैसी विभिन्न समस्याएं आज हमारे समक्ष हैं. किसानों की खड़ी फसलों में प्राकृतिक प्रकोप से नुकसान होने की चुनौती भी हमारे सामने है. नए भारत में नई टेक्नालॉजी, नए अनुसंधान से हमें सारे किसानों तक पहुंचना है. किसानों की आमदनी भी बढ़ानी है, उनके घर में समृद्धि भी लानी है तथा गांवों को और कृषि क्षेत्र को समृद्ध भी बनाना है, जिसे सभी को मिल-जुलकर पूरा करना होगा.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादों का 4 लाख करोड़ रु. से अधिक का निर्यात हुआ है, जो अब तक का सबसे अधिक है. आने वाले समय में प्राकृतिक खेती व जैविक खेती के हमारे उत्पाद दुनिया में और भी ज्यादा लोकप्रिय होने वाले हैं. भविष्य में हमारा निर्यात और बढ़ेगा, ऐसा विश्वास लेकर काम करने की जरूरत है. साथ ही उत्पादन की गुणवत्ता वैश्विक मानकों पर खरी उतरने वाली हो, इसकी चिंता करना होगी. प्राकृतिक खेती पर सरकार का बल है.

प्रधानमंत्री मोदी का आग्रह है कि हम प्राकृतिक खेती यानी गाय आधारित खेती करें. वेस्ट टू वैल्थ का काम हो. हमारे उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा भी अधिक रहे. कृषि मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023 अंतरराष्ट्रीय मिलेट ( अन्न) वर्ष है. 18 मार्च को प्रधानमंत्री इसे विधिवत लांच करने वाले हैं. अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मात्र कोई इवेंट नहीं बल्कि  अन्न के उत्पादन, उत्पादकता और बाजार को बढ़ाने का एक बड़ा प्रकल्प है. इस दौरान देशभर में जितने कार्यक्रम हो रहे हैं, उनके माध्यम से  अन्न की खपत व लोकप्रियता भी बढ़ रही है. दुनियाभर में  अन्न की लोकप्रियता के साथ जब उपभोग बढ़ेगा तो उसकी आपूर्ति की जिम्मेदारी भी भारत की रहेगी क्योंकि हम  अन्न के सबसे बड़े उत्पादक है. वैज्ञानिकों को इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.

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बैठक में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री  परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी (वर्चुअल), उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री  सूर्यप्रताप शाही, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री  अब्दुल सत्तार, हिमाचल प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री  चंदर कुमार, नीति आयोग के सदस्य  रमेश चंद, आईसीएआर के महानिदेशक व डेयर के सचिव डा. हिमांशु पाठक, सचिव  संजय गर्ग सहित अन्य सदस्य तथा सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री  तोमर ने कुछ प्रकाशनों का विमोचन भी किया. कुछ सदस्यों ने अपने सुझाव पेश किए.

English Summary: The role of agricultural scientists is important in building a new India by 2047 - Union Agriculture Minister Tomar
Published on: 10 March 2023, 05:56 PM IST

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