यूं तो हम आपको कृषि जगत से जुड़ी हर जानकारी से रूबरू कराते रहते हैं, लेकिन अभी हम आपको जिस खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं, उसे जानकर आप ठीक उसी तरह हैरान हो जाएंगे, जैसा की हम हो गए थे. गौरतलब है कि वर्तमान में हमारा देश चावल उत्पादन के मामले में शीर्ष पायदान पर अपनी जगह बनाए हुए हैं, लेकिन जिस तरह के हालात अभी कायम है, आगे भी इसी तरह कायम रहे तो फिर वो दिन दूर नहीं जब आपकी थाली में दिखने वाला चावल हमेशा-हमेशा के लिए न महज आपकी थाली से, बल्कि हमारे देश से भी गायब हो जाएगा. जी हां...इसलिए जरूरत है, चावल के उत्पादन में अनवरत नवीन तकनीक विकसित करने की ताकि इस पूर्वानुमान को गलत साबित किया जा सके.
इलिनोइस विश्वविद्यालय की शोधकर्ताओं की टीम ने इस संदर्भ में एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आगामी 2050 तक चावल के उत्पादन में भारी कमी आ सकती है. इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक भी कह दिया कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी तो हमारी थाली से चावल हमेशा-हमेशा के लिए गायब हो सकता है.
अगर ऐसा हुआ तो फिर हमें चालव के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ सकता है. वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रोफेसर प्रशांत कलिका ने बताया कि बदलता मौसम, प्रदूषण, गलोबल वार्मिंग, तापमान, वर्षा, कॉर्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता को प्रभावित करता है.
उल्लेखनीय है कि यह सभी कारक चावल के उत्पादन में बेहद अहम किरदार अदा करते हैं, लेकिन अफसोस हर गुजरते वक्त के साथ इन सभी कारकों का बहुत बुरा हश्र हो रहा है, जिसको ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा कर दिया है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो फिर वो दिन दूर नहीं जब चावल का उत्पादन गुजरे जमाने की बात हो जाएगी.