Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 17 March, 2021 3:58 PM IST
Rice

यूं तो हम आपको कृषि जगत से जुड़ी हर जानकारी से रूबरू कराते रहते हैं, लेकिन अभी हम आपको जिस खबर से रूबरू कराने जा रहे हैं, उसे जानकर आप ठीक उसी तरह हैरान हो जाएंगे, जैसा की हम हो गए थे. गौरतलब है कि वर्तमान में हमारा देश चावल उत्पादन के मामले में शीर्ष पायदान पर अपनी जगह बनाए हुए हैं, लेकिन जिस तरह के हालात अभी कायम है, आगे भी इसी तरह कायम रहे तो फिर वो दिन दूर नहीं जब आपकी थाली में दिखने वाला चावल हमेशा-हमेशा के लिए न महज आपकी थाली से, बल्कि हमारे देश से भी गायब हो जाएगा. जी हां...इसलिए जरूरत है, चावल के उत्पादन में अनवरत नवीन तकनीक विकसित करने की ताकि इस पूर्वानुमान को गलत साबित किया जा सके. 

इलिनोइस विश्वविद्यालय की शोधकर्ताओं की टीम ने इस संदर्भ में एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आगामी 2050 तक चावल के उत्पादन में भारी कमी आ सकती है. इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक भी कह दिया कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी तो हमारी थाली से चावल हमेशा-हमेशा के लिए गायब हो सकता है.

अगर ऐसा हुआ तो फिर हमें चालव के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ सकता है. वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रोफेसर प्रशांत कलिका ने बताया कि बदलता मौसम, प्रदूषण, गलोबल वार्मिंग, तापमान, वर्षा, कॉर्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता को प्रभावित करता है.

उल्लेखनीय है कि यह सभी कारक चावल के उत्पादन में बेहद अहम किरदार अदा करते हैं, लेकिन अफसोस हर गुजरते वक्त के साथ इन सभी कारकों का बहुत बुरा हश्र हो रहा है, जिसको ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा कर दिया है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो फिर वो दिन दूर नहीं जब चावल का उत्पादन गुजरे जमाने की बात हो जाएगी. 

English Summary: the rice will go out form your plate
Published on: 17 March 2021, 04:08 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now