गेहूं की खरीद लोगों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है. जहां एक तरफ गेहूं की उपज का किसानों को सही लाभ मिलने से उन्हें अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है और वहीं सरकारी खजाने में खाद्य सब्सिडी घटने के बोझ से भारी गिरावट दर्ज की गई है.
आपको बता दें कि जो सरप्लस किसानों के लिए हमेशा खाद्यान्न सालों साल बोझ बन जाता है. वहीं रबी सीजन (rabi season) में निर्यात विदेशी मुद्रा में बदलकर किसानों को दुगना मुनाफा मिल रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल एफसीआइ जैसी बड़ी संस्था सरप्लस खाद्यान्न (institution surplus food grains) के बोझ तले दबती जा रही थी. इस समय इन सभी संस्थाओं को भी अच्छा मुनाफा प्राप्त हो रहा है. बता दें कि वर्तमान समय में गेहूं की सरकारी खरीद घटने के बावजूद भी खाद्यान्न भंडारण में लगभग 4 करोड़ टन तक का स्टॉक शेष राशन बचा हुआ है.
इस साल 60 हजार करोड़ की बचत
सूत्रों की मानें तो इस साल सरकारी खरीद में बहुत बड़ा स्टाक का लक्ष्य हासिल किया है. बताया जा रहा है कि सरकारी खरीद का लक्ष्य करीब 4.44 करोड़ टन था जो फिलहाल घटकर 1.95 करोड़ टन तक पहुंच गया है. इससे सरकारी की सब्सिडी में लगभग 60 हजार करोड़ तक की बचक होगी. यह भी बताया जा रहा है कि वर्तमान समय में गेहूं के इस भंडारण में ढाई करोड़ टन की खरीद में लागत का खर्च लगभग 8 हजार करोड़ रुपए तक संभावना थी.
कितने हिस्सों में मिलती है सब्सिडी (In how many parts subsidy is available)
सरकारी की तरफ से गेहूं की खाद्य सब्सिडी (wheat food subsidy) तीन हिस्से में है. बता दें कि सरकार की सब्सिडी का लागत मूल्य और निर्यात मूल्य (इश्यू प्राइस) से पूरा किया जाता है. इसके अलावा इसमें ट्रांसपोर्टेशन लागत, हैंडलिंग चार्जेज, स्टोरेज लॉसेस, ब्याज की लागत, आपरेशनल लॉसेस और प्रशासनिक खर्च भी जुड़ा होता है.
किसानों को गेहूं का मिला सही दाम (Farmers got right price for wheat)
रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बाजार में गेहूं की अधिक मांग बढ़ने से देश के किसानों को अनकी फसल का दुगना मुनाफा प्राप्त हुआ है. यह भी बताया जा रहा है, कि इस बार एफसीआई के पास पर्याप्त मात्रा में गोदाम मौजूद होने पर मौसम के बदलाव व मानसून में अनाज के खराब होने की भी चिंता नहीं है. इसी कारण से एफसीआई के गोदामों में गेहूं के भंडारण को एकत्रित किया गया है.