PM Kisan Yojana: किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (Prime Minister Kisan Samman Nidhi Yojana) के लाभार्थियों की संख्या 2024 में घट गई है. केंद्र सरकार ने खुद इस बात की जानकारी दी है. सरकार ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि किसानों के लिए चलाई जा रही सबसे बड़ी योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या में गिरावट आई है. लाभार्थियों की संख्या पिछले साल के 10.73 करोड़ से 2023-24 में 14 प्रतिशत गिरकर 9.21 करोड़ हो गई है. ऐसे में अगर लाभार्थियों की अंतिम संख्या 9.5 करोड़ के अंदर है, तो 6,000 प्रति वर्ष के हिसाब से वर्तमान संवितरण दर पर वार्षिक व्यय लगभग 57,000 करोड़ रुपय हो सकता है. सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए पीएम-किसान के तहत 60,000 करोड़ का आवंटन किया है.
क्या बढ़ेगी पीएम किसान योजना की राशि?
इसके साथ ही सरकार ने पीएम किसान योजना की राशि बढ़ाने को लेकर चल रही खबरों पर भी स्पष्टीकरण दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को मिलने वाली राशि को 6,000 से बढ़ाकर 8,000 या 12,000 रुपये प्रति वर्ष करने की योजना बना रही है. जिसके जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "ऐसा कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है." पिछले कृषि सर्वेक्षण के अनुसार, खुद की कृषि भूमि वाले 14 करोड़ किसानों में से 86 प्रतिशत के पास 5 हेक्टेयर से कम भूमि है."
मंत्री ने लोकसभा में कहा कि किसान-केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचे ने यह सुनिश्चित किया है कि योजना का लाभ बिचौलियों की भागीदारी के बिना देश भर के सभी किसानों तक पहुंचे. उन्होंने कहा, "लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हुए, भारत सरकार ने अब तक 15 किश्तों में 11 करोड़ से अधिक किसानों को 2.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है."
पंजाब से सबसे ज्यादा लाभार्थी हुए बाहर
सदन में रखे गए आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में पंजाब शीर्ष पर है, जहां लाभार्थियों की अधिकतम संख्या पिछले साल के 17.08 लाख से घटकर 2023-24 में 9.34 लाख हो गई है, जबकि महाराष्ट्र में 11.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. वहीं, सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 16.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ लाभार्थियों की संख्या 2.03 करोड़ रह गई है.
लाभार्थियों की संख्या घटने का ये है कारण
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, "ये सब आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य किए जाने के बाद हुए है. गैर-योग्य लाभार्थियों को बाहर किया गया है, जो योजना का फायदा उठा रहे थे."
केंद्र द्वारा जारी योजना के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, पात्र लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. यह लाभ भूमि-धारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रदान किया जाता है.