एस.एस.पी. (SSP) खाद गुणवत्ता को लेकर भारतीय कृषि में बड़ा महत्व रखता है. जहाँ SSP खाद के उत्पादन से भारतीय मुद्रा को बल मिलता है, वहीं डी.ए.पी. (DAP) के अधिक उपयोग से उत्पादन खर्च बढ़ता है. इतना ही नहीं SSP खाद में सभी पोषक तत्वों की भरमार है जिससे इसको डी.ए.पी. (DAP) और NPK खाद के एवज में विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. इसी कड़ी में भारत सरकार द्वारा अब एस.एस.पी. (SSP) खाद के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी ज़ोर दिया जा रहा है. जिसको लेकर दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में पहली बार फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के सहयोग से SSP इंडस्ट्री-द वे फॉरवर्ड विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया शामिल हुए. इस अवसर पर रसायन एवं उर्वरक सचिव (उर्वरक), अरुण सिंघल और अपर सचिव (उर्वरक) नीरजा एडिडम विशेष तौर पर मौजूद रहीं. इस कार्यशाला में पूरे भारत की 76 SSP कंपनियों ने हिस्सा लिया.
SSP उद्योग गुणवत्ता पर ध्यान दें, सरकार देगी पूरी मदद
इस अवसर पर रसायन एवं उर्वरक सचिव (उर्वरक), अरुण सिंघल ने अपने सम्बोधन में कहा कि SSP उद्योग गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखें. मौजूदा समय में किसान जोखिम उठाने की परिस्थिति में नहीं है. वह एक ही बार भरोसा करता है, इसलिए एसएसपी उद्योगों को बेहतरीन गुणवत्ता को लेकर गंभीर होना होगा, उन्होंने कहा कि एक भी उद्योग गलती करता है तो उसका खामियाजा पूरे समूह को झेलना पड़ता है, इसलिए यह बेहद जरूरी है कि एसएसपी उद्योग एकजुट होकर गुणवत्ता पर काम करें और किसानों का भरोसा जीतें, जिसमें सरकार भी आने वाले समय में एसएसपी की सब्सिडी को बढ़ाने के लिए विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि एसएसपी उद्योग नवाचार की तरफ भी ध्यान दें, ताकि किसानों को बेहतरीन उत्पाद दिया जा सके. उन्होंने कहा वर्तमान में एसएसपी खाद का उत्पादन 53 लाख मेट्रिक टन सालाना है. सरकार का प्रयास है कि जल्द ही एसएसपी का उत्पादन 1 करोड़ मेट्रिक टन सालाना हो सके.
रॉक फॉस्फेट की केंद्रीय खरीद हेतु नोडल एजेंसी की नियुक्ति
इस वर्कशॉप में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया ने औद्योगिक इकाइयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रॉक फॉस्फेट की गुणवत्ता, मात्रा और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है एसएसपी निर्माण के लिए वांछित पी2ओ5 सामग्री., आवश्यकता के अनुसार रॉक फॉस्फेट की केंद्रीय खरीद के लिए एक नोडल एजेंसी नियुक्त करनी बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि आयातित और स्वदेशी रॉक फॉस्फेट के परीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी, यदि खरीद निर्धारित खानों/स्रोतों से अच्छी तरह से परिभाषित 'पी' सामग्री से की जाती है, जो वर्तमान में पीडीआईएल/एफईडीओ द्वारा की जा रही है.
अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए
मंडाविया ने कहा कि एसएसपी उद्योग को एफसीओ विनिर्देशों के अनुसार अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी. देश की सभी एसएसपी SSP का उत्पादन करने वाली इकाइयों को उत्पाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना होगा इसके लिए उद्योगों को अपने परिसर में एनएबीएल प्रमाणित अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित करनी होगी, ताकि बाज़ार में जाने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि अंतिम उत्पाद में कोई कमी नहीं है. हमें स्पष्ट कार्ययोजना की आवश्यकता है ताकि हम एसएसपी गुणवत्ता को लेकर किसानों का भरोसा अर्जित कर सकें.
विशाखापत्तनम (पूर्वी तट) व दाहेज (पश्चिमी तट) पर बनेगा SSP पार्क
केन्द्रीय मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने आगे कहा कि एसएसपी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विशाखापत्तनम (पूर्वी तट) और दाहेज (पश्चिमी तट) में एक-एक एसएसपी पार्क विकसित किये जाने हैं. एसएसपी इंडस्ट्री प्रस्ताव लेकर आगे आयें जिसमें उर्वरक मंत्रालय भी इस दिशा में पूरा सहयोग देने को तैयार है. इससे प्रतिस्पर्धी मूल्य पर कच्चे माल की खरीद और एक ही स्थान पर बेहतर निगरानी और नियंत्रण करने में मदद मिलेगी.
कम हो आयातित फास्फेटिक उर्वरकों पर निर्भरता
मंत्री मंडाविया ने कहा कि मौजूदा समय में देश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एसएसपी का उत्पादन बढ़ाना बेहद जरूरी है. हमें आयातित फॉस्फेटिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करनी होगी साथ ही पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका आदि को निर्यात करने की संभावनाओं को लेकर काम करना होगा. इसके आलावा उन्होंने आगे कहा कि सभी SSP उद्योग इकाइयों को एनबीएस का लाभ उठाने के लिए 1 अप्रैल 2024 से उत्पादन न्यूनतम 0.50-1.00 एलएमटी तक बढ़ाना होगा. इसलिए, कम एसएसपी उत्पादन वाली कंपनियों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह समय पर अपना उत्पादन बढ़ाएं. साथ ही उच्च ग्रेड रॉक फॉस्फेट की सीमित उपलब्धता और एसएसपी उत्पादन को बढ़ाने के लिए उच्च ग्रेड रॉक फॉस्फेट के साथ निम्न ग्रेड रॉक फॉस्फेट के सम्मिश्रण की अनुमति दी जाएगी. हालांकि, उद्योगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद की आपूर्ति की जाए
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नई बीआरपी इकाइयों की आवश्यकता उन्होंने कहा कि देश में रॉक फॉस्फेट (बीआरपी) इकाइयों की सीमित उपलब्धता है. आने वाले समय में अधिक से अधिक निम्न ग्रेड रॉक फॉस्फेट का उपयोग किया जाएगा, इसलिए एसएसपी बनाने के लिए अधिक बीआरपी इकाइयों की भी अधिकता होनी चाहिए. इस सिलसिले में उद्योग को नई बीआरपी इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव को लेकर आगे आना होगा. हम जानते हैं कि वर्तमान में, एसएसपी की एनबीएस दरें अन्य पी एण्ड के उर्वरकों के बराबर नहीं हैं. उद्योग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों के लिए एमआरपी वहनीय रखते हुए एनबीएस का लाभ किसानों को दिया जाए. इतना ही नहीं उद्योग को विशेष क्षेत्रों अथवा मिट्टी और फसलों के अनुसार विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों को जोड़कर एसएसपी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तत्पर रहना चाहिए ताकि किसानों को बेहतर फसल और आय प्राप्त हो सके.
आखिर DAP और SSP में कितना अंतर है ?
भारतीय कृषि में किसानों के लिए खाद को लेकर भरोसा DAP पर अधिक किया जाता है. जबकि SSP खाद को भी DAP से कम नहीं आंका जाता है. तो फिर ऐसा क्या है. आइये जानते है DAP और SSP में कौन बेहतर है
डी.ए.पी. (DAP)
डी.ए.पी. (DAP) फ़सलों के लिए नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटेशियम जैसे जरूरी पोषक तत्त्व प्रदान करने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है. डीएपी (DAP) यानि डाइअमोनियम फॉस्फेट में नाईट्रोजन की मात्रा – 18% होती है और फॉस्फोरस की मात्रा – 46 % तक होती है इसके आलावा सल्फर की मात्रा – 0% कैल्शियम की मात्रा – 0% है.
एस.एस.पी. (SSP)
SSP खाद एक सख्त दानेदार खाद है, जोकि भूरे, काले, बादामी रंगों के मेल जैसा होता है, यह इतना सख्त होता है कि नाखूनों से आसानी से नहीं टूटता. यह चूर्ण के रूप में भी उपलब्ध होता है. SSP यानि सिंगल सुपर फॉस्फेट में नाइट्रोजन की मात्रा – 0% फॉस्फोरस – 16%, सल्फर की मात्रा – 11% कैल्शियम – 19% तथा जिंक – 1% मात्रा होती है.
इस कार्यशाला में एफएआई के महानिदेशक अरविंद चौधरी ने केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री का एसएसपी उद्योग को रोड मैप प्रदान करने हेतु आभार व्यक्त किया, साथ ही उन्होंने उर्वरक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को उनके द्वारा एफसीओ के अनुसार गुणवत्ता के साथ देश में एसएसपी के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने और पड़ोसी देशों को निर्यात के रास्ते तलाशने में सक्षम बनाने के उनके निरंतर समर्थन और एसएसपी उद्योग को उनकी सक्रिय भागीदारी देने के लिए धन्यवाद दिया.