लहसुन की मांग बाजारों में सालभर बनी रहती है. ये कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है इसलिए इसे सेहत का खजाना भी कहा जाता है, लेकिन सेहत के इस खजाने ने इनदिनों किसानों की जेब खाली कर दी है. दरअसल इस साल भारत में लहसुन की उपज भारी मात्रा में हुई है इसलिए बाजार में लहसुन के दाम गिरे हुए हैं. इसके बाद किसानों को एक मात्र एक्सपोर्ट से जो अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी वह भी टूट गई है क्योंकि, चीन में भी लहसुन की भारी मात्रा में पैदावार हुई है. अच्छी पैदावार के चलते चीन सस्ता और अच्छी क्वॉलिटी का लहसुन अंतर्राष्ट्रीय बाजार में देने लगा हैं. जिस वजह से भारत के लहसुन की डिमांड अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में नहीं हो रही है. मांग नहीं होने के वजह से लहसुन के दाम पिछले पांच सालों के निचले स्तर पर आ गए हैं.
अमेरिका, यूरोप, गल्फ, और एशिया में जहां भारत निर्यात करता था वहां भारत से सस्ते और अच्छी गुणवत्ता की लहसुन चीन देने लगा है. इससे भारत में खपत से ज्यादा लहसुन पड़ा हुआ है. मंडियों में लहसुन के ढेर होने के कारण इसके दाम भी निचले स्तर पर आ गए हैं. मध्य प्रदेश की नीमच मंडी में लहसुन के दाम 250 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं. लहसुन कारोबारियों के मुताबिक, 2017 में भारत ने 18 देशों में 31,811 टन लहसुन एक्सपोर्ट किया था जबकि इस साल महज 6317 का ही निर्यात हुआ है.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की नीमच मंडी में अभी तक 15,800 क्विंटल लहसुन पहुंच चुकी है, लेकिन खरीदार कोई नहीं है. केंद्र सरकार ने निर्यात पर कोई छूट नहीं दी है. दो महीने का लहसुन अभी गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में पहले से ही पड़ा है. मंडियों में नई फसल मार्च में आएगी. इस साल बारिश कम होने की वजह से पैदावार पर भी असर पड़ेगा. फिलहाल चीन की वजह से भारत में लहसुन का निर्यात बंद है.
विवेक राय, कृषि जागरण