Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 30 October, 2017 12:00 AM IST
Wheat Crop

गेहूं का पौधा अपना 90% पोषण सूरज की रोशनी से खुद बनाता है, 10% पोषण ही मिट्टी से बनाता है. अगर किसान गेहूं बिजाई की नई विधि, जिसे अंग्रेजी में सिस्टम ऑफ वीहट इंटेन्सिफिकेशन (एसडब्लूआई) के नाम से जाना जाता है, को अपनाएं तो औसत पैदावार बढ़ सकती है.

इस विधि की शुरुआत दक्षिण भारत में धान से हुई थी. धान के बाद गन्ना, गेहूं, सरसों और अरहर में भी इसके अच्छे नतीजे मिले.

विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं का पौधा अपना 90% पोषण खुद सूरज की रोशनी से बनाता है. केवल 10% पोषण मिट्टी से लेता है. इसलिए अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि हर पत्ते को सूरज की पूरी रोशनी मिले. अगर फसल ज्यादा घनी बो दी जाए जिसमें सब पत्तों पर सूरज की रोशनी ही पड़े तो पैदावार प्रभावित होती है. इसलिए हर फसल, किस्म को इस तरह बोएं कि पूरी बढ़ जाने पर भी हर पौधे के हर पत्ते को पूरी रोशनी मिल सके. गेहूं के लिए आदर्श तरीका ये है कि इसकी बिजाई वर्गाकार रूप में 8 से 10 ईंच की दूरी पर की जाए यानि लाइन से लाइन और एक लाइन में पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 ईंच रहे.

अगर किसी खेत की मिट्‌टी कम उपजाऊ है तो उसमें ये दूरी थोड़ी कम की जा सकती है.इसी तरह ज्यादा उपजाऊ जमीन में ये दूरी बढ़ाई भी जा सकती है. पौधों के बीच दूरी बढ़ने पर जहां पत्ते अधिक पोषण बना पाएंगे वहीं जड़ों को भी फैलने के लिए ज्यादा जगह मिलेगी.

बिजाई बीज-खाद ड्रिल के साथ करें। इसमें बीज 4 से 6 सेंटीमीटर गहराई पर डालें. ड्रिल के साथ बीज और खाद सारे खेत में एक-समान पड़ते हैं।  जिस खेत में धान की कटाई कंबाइन से करवाई गई हो, वहां हैपी सीडर के साथ गेहूं की बुवाई करनी चाहिए.

हैप्पी सीडर तकनीक से बुआई करने पर बीज 3.5 से 5 सेमी. गहराई पर बोएं. कम खरपतवार वाले खेत में गेहूं की बिजाई जीरो-टिल ड्रिल मशीन से करनी चाहिए. इसमें डीजल और पानी कम लगता है और गेहूं पीली नहीं पड़ती. इसी तरह ज्यादा उपजाऊ जमीन में ये दूरी बढ़ाई भी जा सकती है. पौधों के बीच दूरी बढ़ने पर जहां पत्ते अधिक पोषण बना पाएंगे वहीं जड़ों को भी फैलने के लिए ज्यादा जगह मिलेगी.

बिजाई बीज-खाद ड्रिल के साथ करें. इसमें बीज 4 से 6 सेंटीमीटर गहराई पर डालें. ड्रिल के साथ बीज और खाद सारे खेत में एक-समान पड़ते हैं. जिस खेत में धान की कटाई कंबाइन से करवाई गई हो, वहां हैपी सीडर के साथ गेहूं की बुवाई करनी चाहिए.

English Summary: Take care of this one thing in wheat farming ...
Published on: 30 October 2017, 03:27 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now