KJ Chaupal: अगर किसानों को कृषि से संबंधित समसामयिक जानकारी दी जाए, तो कृषि क्षेत्र को और बढ़ावा दिया जा सकता है. इसी के मद्देनजर विगत 27 वर्षों से कृषि क्षेत्र में निर्बाध रूप से कार्यरत कृषि जागरण कंपनी किसानों के लिए एक समयांतराल पर ‘केजे चौपाल’ का आयोजन करती रहती है. इसमें कृषि क्षेत्र से जुड़ीं कंपनियों के गणमान्य लोग और प्रगतिशील किसान बतौर मेहमान आकर अपने कार्यों, अनुभवों और नवीनतम तकनीकों को साझा करते हैं.
इसी कड़ी में मंगलवार (21 मई) को सिस्टेमा.बायो इंडिया के प्रबंध निदेशक पीयूष सोहानी और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में क्षमता निर्माण और सामग्री विकास प्रमुख पल्लवी माली ने केजे चौपाल का दौरा किया. जहां उन्होंने खेती और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा किए. सिस्टेमा.बायो इंडिया के प्रबंध निदेशक पीयूष सोहानी एक उद्यमी हैं और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों और सामाजिक विकास के प्रति उत्साही हैं. उन्होंने सिस्टेमा.बायो की नवीन बायोडाइजेस्टर तकनीक पर प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है, जिससे दुनिया भर के हजारों किसानों को लाभ होगा.
KJ Chaupal की शुरुआत करते हुए कृषि जागरण एवं एग्रीकल्चर वर्ल्ड के संस्थापक और प्रधान संपादक एमसी डोमिनिक ने डॉ. राजाराम त्रिपाठी का गर्मजोशी से स्वागत किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कृषि जागरण का हमेश से प्रयास रहा है कृषि को कैसे और बेहतर किया जा सके. ताकि किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ युवाओं को खेती करने की ओर प्रेरित किया जा सके.
वहीं, अपने संबोधन के दौरान पीयूष सोहनी ने सिस्टेमा.बायो इंडिया पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सिस्टेमा.बायो एक वैश्विक सामाजिक उद्यम है जो नवीन बायोडाइजेस्टर प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और वित्तपोषण के माध्यम से गरीबी, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समर्पित है. 2010 में मैक्सिको में स्थापित, कंपनी किफायती, उच्च गुणवत्ता वाले बायोडाइजेस्टर का निर्माण और वितरण करती है, जो छोटे किसानों को पशु अपशिष्ट को नवीकरणीय ऊर्जा और जैविक उर्वरक में बदलने में मदद करती है.
यह 33 देशों में संचालित होता है और इसका लक्ष्य 2030 तक वार्षिक वैश्विक GHG उत्सर्जन में 1% की कटौती करना है. मैक्सिको में इसकी स्थापना के बाद, प्रौद्योगिकी का विस्तार 2017 में अफ्रीका और 2018 में भारत में हुआ. तब से 21 भारतीय राज्यों के 80,000 परिवारों को इससे लाभ हुआ है. स्थापना, एलपीजी सिलेंडरों पर उनकी निर्भरता को कम करना. उपोत्पाद के रूप में उत्पादित जैव उर्वरकों का उपयोग कृषि क्षेत्रों में किया जाता है, जिससे प्रति सिस्टम सालाना लगभग 8-10 टन CO2 की बचत करके पर्यावरण को काफी लाभ होता है.
उन्होंने कहा, "वर्तमान में उपयोग में आने वाली 80,000 प्रणालियों के साथ, हर साल लगभग 800,000 टन CO2 बचाई जाती है. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा अनुमोदित, प्रौद्योगिकी को सब्सिडी का समर्थन प्राप्त है, जिससे यह लाखों डेयरी किसानों के लिए सुलभ हो जाती है. सोहनी ने कृषि जागरण के साथ साझेदारी के बारे में आशावाद व्यक्त किया, यह अनुमान लगाते हुए कि इससे कई किसानों को लाभ होगा."
वहीं, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में क्षमता निर्माण और सामग्री विकास प्रमुख पल्लवी माली ने न केवल आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक सुरक्षा के मामले में भी किसानों के उत्थान में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने हाल के वर्षों में नई योजनाओं के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, पूरे भारत में कृषक समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए कृषि मंत्रालय के समर्पित प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ये प्रयास किसानों की आय के स्तर और हितों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रहे हैं.
विशेष रूप से कृषि मंत्रालय में 28 प्रभाग शामिल हैं, प्रत्येक 3-4 प्रमुख योजनाओं का प्रबंधन करता है. उनका प्रभाग दो प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित है: फसल बीमा और ऋण. उन्होंने कहा कि 20,000 करोड़ रुपये के बजट वाली किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना किसानों को किफायती ऋण प्रदान करती है, जबकि 15,000 करोड़ रुपये के बजट वाली फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करती है.
उन्होंने खाद्य सुरक्षा के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा, "आपकी जेब में मौजूद पैसा आपकी मेज पर भोजन की थाली के बराबर नहीं है." उन्होंने किसानों के हितों को सबसे आगे रखने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का आह्वान किया और कृषक समुदाय के कल्याण को बढ़ाने के लिए कृषि जागरण जैसे कृषि मीडिया घरानों, निजी भागीदारों और सरकारी विभागों से सहयोगात्मक प्रयासों का आग्रह किया. माली ने इस सहयोगी अवसर को सुविधाजनक बनाने के लिए कृषि जागरण के प्रति आभार व्यक्त करते हुए निष्कर्ष निकाला. यह ज्ञानवर्धक कार्यक्रम धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संपन्न हुआ, जिसके बाद इस अवसर को चिह्नित करने के लिए एक समूह फोटोग्राफ ली गई.