यूपी के अमेठी के रहने वाले दिवंगत पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह का 21 साल का बेटा अभय जब अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी को देख रो पड़ा तो उन्होंने उसे गले लगा लिया और उसका हाथ अपने सिर पर रखकर कहा, ‘कसम खाओ मेरी कि तुम कुछ गलत नहीं करोगे’. स्मृति ईरानी बोलीं कि, तुमने अपने पापा को और हमने अपना भाई खोया है. इतना सुनते ही वहां पर मौजूद हर एक शख्स सन्न रह गया. स्मृति ईरानी अभय का हाथ पकड़ घर से बाहर आईं और कहा- आओ कंधा देते हैं. एक ओर जहां सांसद स्मृति ईरानी ने अर्थी में कंधा लगाया तो वहीं दूसरी ओर बेटे अभय ने. पिता के गम में सुधबुध खो बैठा बेटा कुछ कदम चलकर लड़खड़ाया, तो वहां पर मौजूद अन्य भाजपा नेताओं ने अर्थी थाम ली.
गौरतलब है कि स्मृति ईरानी ने घर से लेकर श्मशान तक अर्थी को अपने कंधे पर उठाए रखा. 300 मी0 की दूरी और हजारों की भीड़, बहुत सारे लोगों ने स्मृति ईरानी से कहा कि दीदी हटो हम अपने कन्धों पर ले लेते हैं, लेकिन बिना कुछ बोले अर्थी थामे स्मृति चुपचाप श्मशान की ओर बढ़ती रहीं. उन्होंने अर्थी को हिंदू धार्मिक मान्यता के मुताबिक, रास्ते में 5 जगह जमीन पर रखा और उठाया और अंतिम बार श्मशान में चिता के करीब ही उसे छोड़ा.
आज से मैं ही आपका बेटा हूं मां
सभी कार्यकर्ताओं से अंतिम बार मिलने के बाद जब स्मृति ईरानी घर के अंदर पहुंचीं तो उन्होंने सुरेंद्र की मां की गोद में अपना सिर रख दिया और कहा आज से मैं ही आपका बेटा हूं मां. इतना ही नहीं बड़े भाई नरेंद्र के चरणों में शीश झुकाकर बहन होने का एहसास कराया तो दिवंगत कार्यकर्ता की पत्नी को बांहों में भर अपनत्व का मरहम लगाने की कोशिश की. शादीशुदा बेटी पूजा व प्रतिमा के सिर पर अपना हाथ फेरा और कहा हर पल साथ रहेगी तेरे पापा की दीदी.
भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने दिवंगत प्रधान सुरेंद्र सिंह की जब अर्थी उठाई, तो पूरा का पूरा बरौलिया व अमरबोझा गांव जब तक सूरज- चांद रहेगा सुरेंद्र तेरा नाम रहेगा के नारे से गूंज उठा. इससे पहले दिल्ली से सीधे पूर्व प्रधान के निवास स्थान पर जब स्मृति ईरानी पहुंची तो संवेदनाएं उफान पर थी. स्थानीय लोग गुस्से से भरे बैठे थे. शव को देखते ही स्मृति की आंखें नम हो गईं और वह नि:शब्द. उन्होंने अपने जुझारू कार्यकर्ता को मनभर के देखा और उसके चरणों में अपने सिर रख दिया.