सरकारी और प्राईवेट नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए एक ख़ास खबर है. दिल्ली सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सरकारी कर्मचारियों के हित के लिये यह बड़ा फैसला लिया गया है. आने वाले दिनों में यह कर्मचारियों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कौन सा बड़ा फैसला लिया गया आइये जानते हैं.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से बीते कुछ दिन पहले सरकारी एवं प्राईवेट नौकरी कर रहे कर्मचारियों के हक के लिए दो बड़े फैसले लिए गये हैं. सबसे पहले बात करते हैं सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लिया गया पहला फैसला, जिसमें बताया जा रहा है कि ऐसे कर्मचारी, जिनकी नौकरी के दौरान अगर कोई FIR दर्ज की जानकारी मिलती है तो कम्पनी उसको नौकरी से नहीं निकाल सकती है.
इसके अलावा दूसरा फैसला यह लिया गया है कि, यदि किसी कर्मचारी को उसकी नौकरी के दौरान भुगतान या इंक्रीमेंट गलती से किया गया हो तो उसके रिटायरमेंट के बाद उससे वह पैसा की वसूली सारकार या प्राइवेट कंपनी नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह गलती उधर से हुई है जिसका खामियाजा भी उन्हें ही भुगतना होगा. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे दो याचिकाओं की सुनवाई की है जिस वजह से कोर्ट की तरफ से यह फैसला लिया गया है.
सबसे पहले बात करते हैं एक कांस्टेबल पवन कुमार की, जो कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में कांस्टेबल के पद के लिए चुना गया थे, लेकिन उनकी ट्रेनिंग के दौरान FIR की बातों का खुलासा हुआ तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. ऐसे में पवन कुमार ने मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट के तरफ हाथ बढ़ाया.
जिसमें कोर्ट की तरफ से याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया गया कि यदि किसी कर्मचारी ने अपनी जानकारी को छिपाया है या गलत बताया की है, उसे स्थिति में सेवा में बनाये रखने की मांग करने का कोई अधिकार तो नहीं है लेकिन कम से कम उसके साथ मनमाने ढंग से व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.वहीँ दूसरी ओर केरल के एक शिक्षक का मामला भी सामने आया था जिसमें बताया जा रहा है कि केरल के इस शिक्षक ने साल 1973 में स्टडी लीव ली लेकिन उन्हें इंक्रीमेंट देते समय उस अवकाश की अवधि पर विचार नहीं किया गया था.फिर 24 साल बाद 1999 में उनके रिटायर होने के बाद स्कूल की तरफ से उनके खिलाफ वसूली की कार्यवाही शुरू कर दी थी. इन मामलों को सुलझाने के लिए शिक्षक हाई कोर्ट गए लेकिन उनके हित में कोई सुनवाई नहीं हुई तो इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
तब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से याचिका की पूरी सुनवाई हुई जिसमें कहा गया कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी, विशेषकर जो नीची शश्रेणीं में आते हैं, वे जो भी राशि प्राप्त करते है, उसे अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खर्च करने का पूरा अधिकार होगा. वही अगर किसी कर्मचारी को गलत भुगतान की जानकारी प्राप्त होती है तो कोर्ट बसूली के खिलाफ किसी भी तरह की सहायता नहीं करेगा.