हल्दी की खेती ने बदली इस किसान की किस्मत, आज है लाखों में कारोबार PMFBY: फसल खराब पर देश के कई किसानों को मिलता है मुआवजा, इस नंबर पर करें शिकायत खेती के लिए 32 एचपी में सबसे पावरफुल ट्रैक्टर, जानिए फीचर्स और कीमत Vegetables & Fruits Business: घर से शुरू करें ऑनलाइन सब्जी और फल बेचना का बिजनेस, होगी हर महीने बंपर कमाई एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 10 January, 2019 10:20 AM IST
By:

अभी तक तो किसान ही अपने हक़ के लिए सरकार से लड़ाई कर रहा था और अब बी टी कॉटन के बीज पर तकनीकी लड़ाई में भारत का किसान, भारत की बीज कम्पनियां, विदेशी कम्पनी भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उलझ गया है.

हालाँकि हाई कोर्ट ने तकनीकी मुद्दों पर मोनसैंटो के पेटेंट को रद्द किया था क्योंकि इसमें भारत के हितों का हनन हो रहा था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मोनसैंटो को मौका दिया है.

भारत दुनिया में सबसे अधिक कपास का उत्पादन करता है. इसके साथ ही वह कपास का दूसरा बड़ा निर्यातक है. भारत में कपास की खेती का 90 फीसद रकबाए मॉनसेंटो की जीएम बीज पर निर्भर है.

सुप्रीम कोर्ट से बहुराष्ट्रीय कंपनी मॉनसेंटो को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने आनुवांशिक रूप से संवर्द्धित कपास के बीजों ,जीएम कॉटन सीड्स पर कंपनी के पेटेंट के दावे को जायज ठहराया है.

कोर्ट ने कहा है कि अमेरिकी बीज निर्माता कंपनी जीएम जीन संवर्द्धितद्ध कॉटन सीड्स पर पेटेंट का दावा कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है. जिसकी वजह से मॉनसेंटो जीएम कॉटन सीड्स पर पेटेंट का दावा नहीं कर पा रही थी.

मॉनसेंटो को जर्मनी की दवा और फसलों के लिए रासायन बनाने वाली कंपनी बेयर एजी खरीद चुकी है. कोर्ट के इस फैसले को विदेशी कृषि कंपनियों मसलन मॉनसेंटो, बेयर, डूपॉ पायोनियर और सेनजेंटा के लिए राहत के तौर पर देखा जा रहा है.

इन कंपनियों को भी भारत में जीएम फसलों पर पेटेंट के हाथ से जाने का डर सता रहा था.

किसानों के संगठन शेतकारी संगठन के नेता अजित नार्डे के हवाले से कहा है कि यह अच्छी खबर है क्योंकि अधिकांश अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने पेटेंट नियमों को लेकर जारी अनिश्चितता की वजह से भारतीय बाजार में नई तकनीक को जारी करने पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि नई तकनीक तक किसानों की पहुंच से उन्हें मदद मिलेगी. यह भी पढ़ें -

मेको मॉनसेंटो बायोटेक इंडिया, मॉनसेंटो और महाराष्ट्र की हाइब्रिड सीड कंपनी मेकोद्ध का संयुक्त उपक्रम है और यही कंपनी 40 से अधिक भारतीय बीज कंपनियों को जीएस कॉटन बीज की बिक्री करती है. दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला स्थानीय कंपनी एनएसएल की याचिका पर आया था. जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत का पेटेंट कानून मॉनसेंटो को उसके जीएम कॉटन बीज पर किसी तरह के पेटेंट की इजाजत नहीं देता है.

सुप्रीम कोर्ट में मॉनसैंटो की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे. उनकी मदद अमित भंडारी कर रहे थे. उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि जो सिंगल बेंच मॉनसैंटो और नुजिवीडू सीड्स के मामले की सुनवाई कर रही हैं. इस केस को भी उसके पास भेजा जाए. मॉनसैंटो ने पेटेंट उल्लंघन का केस दर्ज किया है जो अगले साल लैप्स हो रहा है. उसने इसके लिए रॉयल्टी की तरह ट्रेट वैल्यू की मांग की है. नुजिवीडू ने दूसरी तरफ अदालत से पेटेंट को खत्म करने की अपील की है.

इस कानूनी लड़ाई को देश की फूड सिक्योरिटीज के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसमें एक तरफ भारतीय सीड कंपनियां हैं तो दूसरी तरफ मॉनसैंटो विदेशी कंपनियों की तरफ से पेटेंट को लागू करवाने की मुहिम की अगुवाई कर रही है. एंटी.जेनेटिकली मॉडिफाइड कार्यकर्ताओं और किसान संगठन भी बाद में इस लड़ाई में शामिल हो गए. लॉ फर्म आनंद एंड आनंद के मैनेजिंग पार्टनर प्रवीण आनंद ने कहा कि इस केस को सुलझने में कम से कम एक साल का समय लगेगा. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ डिविजन बेंच के आदेश पर रोक लगाई है और उसने सिंगल जज बेंच को फैसला करने को कहा है. यह पेचीदा केस है. कई भारतीय कंपनियों में से एक की नुमाइंदगी करने वाले एक वकील ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हमने पेटेंट रद्द करने की मांग की है जो पेंडिंग है. एक सीनियर वकील ने बताया कि इस केस में अब सभी मामलों की तफसील से पड़ताल होगी. इसमें सबूत देखे जाएंगे और एक्सपर्ट्स की गवाही होगी. उसके बाद ही अदालत किसी नतीजे तक पहुंचेगी.

इसके बाद मॉनसेंटो के भारतीय साझा उपक्रम जेवीद्ध ने रॉयल्टी भुगतान के विवाद को लेकर 2015 में एनएसएल के साथ अपने करार को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट को मॉनसेंटो के उस दावे को भी देखना था. जिसमें उन्होंने कहा था कि एनएसएल ने बीटी कॉटन सीड्स को लेकर उसकी बौद्धिक संपदा का उल्लंघन किया है. 2003 में मॉनसेंटो के जीएम कॉटन सीड को मंजूरी दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 08.01.2019 को दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें मॉनसैंटो के बीटी कॉटन पेटेंट को भारतीय पेटेंट कानून के तहत अवैध ठहराया गया था. शीर्ष अदालत ने इस मामले को फिर से हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच के पास भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेंच यह फैसला करे कि इसके लिए पेटेंट का दावा किया गया था या नहीं और अगर दावा किया गया था तो उसका उल्लंघन हुआ या नहीं.

दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 2 मई 2018 को मॉनसैंटो के खिलाफ आदेश दिया था. उसने कहा था कि कंपनी लाइफ फॉर्म्स पर पेटेंट का दावा नहीं कर सकती. कंपनी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में दो आधारों पर चुनौती दी थी. पहलाए बीटी कॉटन केमिकल प्रोसेस है न कि लाइफ फॉर्म और दूसरा अदालत ने आदेश बिना सबूत के जारी किया. असल में मॉनसैंटो ने भारतीय कंपनी नुजिवीडू सीड्स लिमिटेड के खिलाफ पेटेंट उल्लंघन का मामला दर्ज कराया था. इसी मामले में हाई कोर्ट ने उसके खिलाफ आदेश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में मॉनसैंटो की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे. उनकी मदद अमित भंडारी कर रहे थे. उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि जो सिंगल बेंच मॉनसैंटो और नुजिवीडू सीड्स के मामले की सुनवाई कर रही हैए इस केस को भी उसके पास भेजा जाए. मॉनसैंटो ने पेटेंट उल्लंघन का केस दर्ज किया हैए जो अगले साल लैप्स हो रहा है. उसने इसके लिए रॉयल्टी की तरह ट्रेट वैल्यू की मांग की है. नुजिवीडू ने दूसरी तरफ अदालत से पेटेंट को खत्म करने की अपील की है.

इस कानूनी लड़ाई को देश की फूड सिक्योरिटीज के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसमें एक तरफ भारतीय सीड कंपनियां हैं तो दूसरी तरफ मॉनसैंटो विदेशी कंपनियों की तरफ से पेटेंट को लागू करवाने की मुहिम की अगुवाई कर रही है. एंटी जेनेटिकली मॉडिफाइड कार्यकर्ताओं और किसान संगठन भी बाद में इस लड़ाई में शामिल हो गए. लॉ फर्म आनंद एंड आनंद के मैनेजिंग पार्टनर प्रवीण आनंद ने कहा कि इस केस को सुलझने में कम से कम एक साल का समय लगेगा. उन्होंने बतायाए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ डिविजन बेंच के आदेश पर रोक लगाई है और उसने सिंगल जज बेंच को फैसला करने को कहा है. यह पेचीदा केस है. कई भारतीय कंपनियों में से एक की नुमाइंदगी करने वाले एक वकील ने भी इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि हमने पेटेंट रद्द करने की मांग की हैए जो पेंडिंग है. एक सीनियर वकील ने बताया कि इस केस में अब सभी मामलों की तफसील से पड़ताल होगी. इसमें सबूत देखे जाएंगे और एक्सपर्ट्स की गवाही होगी. उसके बाद ही अदालत किसी नतीजे तक पहुंचेगी.

चंद्र मोहन, कृषि जागरण

English Summary: supreme court except monsento bt cotton patent
Published on: 10 January 2019, 10:25 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now