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Updated on: 16 August, 2019 7:39 PM IST

सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स ने बीते सप्ताह मध्य प्रदेश के जिला अलिराजपुर के लुधियावाड, खंडाला, सिंदगाव, सुखी बावड़ी बिचौली वाड़ी व छोटा इटारा गांव में लगभग 160 किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया. ये गांव आदिवासी बाहुल हैं इस किसानों के पास कर्मभूमि है तथा जीविका का मुख्य स्रोत खेती हैं. पूरा परिवार कृषि कार्य करता हैं. इसी को ध्यान में रखकर इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. खरीफ मौसम में सोयाबीन, मक्का, उर्द, यहाँ की मुख्य फसल हैं जिसमे सोयाबीन को क्षेत्रफल में सबसे ज्यादा हैं.

सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स ने यह प्रशिक्षण बीते सप्ताह अलग - अलग गावों में आयोजित किया. जिसमे 160 किसानों  ने भाग लिया हैं. पुरे सप्ताह रिमझिम बारिश होने पर भी कृषको में उत्साह देखा गया प्रशिक्षण कम्पनी के कंपनी के वरिष्ठ प्रबन्धक शोध एवं विकास संजय श्रीवास्तव ने द्वारा दिया प्रशिक्षण में किसानों को यह बताया गया कि स्थानीय वनस्पति से बनाकर उपयोग किया जा सकता हैं.

संजय श्रीवास्तव ने बताया कि खरपतवार मुक्त फसल रखना तथा समय से निराई गुडाई करने से स्वच्छ खेत में कीट कि समस्या कम रहती हैं यदि किसान समय से निराई गुड़ाई कर फसल को खरपतवार मुक्त रखे तथा फेरोमोन ट्रैप फसल कि आरंभिक अवस्था में लगाए तो निकट भविष्य में नुकसान पहुंचने वाले कीट की उपस्थिति की जानकारी मिल जाती हैं और किसान बचाव के तौर पर फसल पर से बने उत्पाद - नीम बीज अर्क नीम पत्ती अर्क नीम तेल का स्प्रेकर काफी हद तक कीटों से फसल को बचा सकते है चूंकि वर्षा ऋतु में कीट का प्रकोप फसल पर ज्यादा होता हैं इस दिये नीम के उत्पाद के अलावा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध स्व्यंम उगने वाले पेड़ पौधे जैसे - नीम, आक, धतूर, कनेर, सीतफल, निर्गुड़, अरंडी, आदि की पत्ती से कीट नाशक बनाकर स्प्रेकर किसान फसल को कीटों से सुरक्षित रख सकते हैं.

कीटनाशी  बनाने के लिए 5-6 प्रकार के पत्तों एवं गोमूत को एक निश्चित मात्रा में मिलाकर उबालकर कीटनाशी बनाते हैं जिसे पांचपत्ती द्वारा कहते हैं इसके लिए पत्तो का चुनाव काटना, कूटना, उबालना, प्रत्येक प्रकिर्या को कर  दिखाया गया.

"सुमिन्तर इंडिया जैविक खेती की जागरूकता अभियान” के तहत किसानों को प्रशिक्षण करने हेतु अलीराजपुर में 18 स्थानों पर आदर्श जैविक प्रक्षेत किसानों के खेत पर बनाया हैं. जहाँ पर किसान के पास उपलब्ध गाय के गोबर से विभिन्न प्रकार के खाद एवं तरल खादों को बनाकर फसल उगाई जा रही हैं. कीट नाशको हेतु आसपास स्व्यं उगने वाले पेड़ पौधो के पत्तो का प्रयोग किया जाता हैं.

आदर्श प्रक्षेत पर आनफार्म इनपुट अर्थात स्थानीय कृषि आदान का उपयोग कर फसल उगाई जाती हैं. प्रशिक्षण में आये हुये किसानों ने आदर्श प्रक्षेत  का भी भ्रमण किया एवं प्रक्षेत भ्रमण के समय संजय श्रीवास्तव ने जैविक विधि से उगाई जा रही हैं सोयाबीन की फसल के बारे में विस्तार में किसानों को बताया.

प्रशिक्षण की स्थानीय यवस्था कम्पनी के सुमिन्तर इंडिया के अलिराजपुर परियोजना अधिशाषी ग्रीजेस शर्मा एवं निलेश अहीर ने किया हैं.

अन्त में संजय श्री वास्तव ने प्रशिक्षण में आये हुये किसानों को कम्पनी के तरफ से धन्यवाद दिया. तथा जैविक खेती हेतु आग्रह किया तथा बताया कि जैविक खेती कि जानकारी सुमिन्तर इंडिया के फिल्ड में काम करने वाले कर्मचारी से सुगमता से पा सकते हैं प्रत्येक कर्मचारी प्रशिक्षित हैं.

लेखक
सुजीत पाल
कृषि जागरण

English Summary: suminter India provided taring on organic farming
Published on: 16 August 2019, 07:45 PM IST

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