गन्ना विकास विभाग द्वारा एक दिवसीय कृषक चौपाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसके तहत किसानों को जैविक खेती की ओर अपना ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रेरित किया गया. आज के इस दौर में जहाँ लोग अपनी सेहत के लिए काफी सजग होते नजर जा रहे है. ऐसे में उनका झुकाव आर्गेनिक फ़ूड या फिर हर्बल आइटम्स की तरफ ज्यादा होता जा रहा है.
ऐसे में जरुरी है की छोटे किसान भी इस तरफ अपना ध्यान देकर मुनाफा कमाएं. पारम्परिक खेती के मुकाबले आर्गेनिक फर्मिन में लागत कम होती है और मुनाफा ज्यादा. इसी विषय पर कार्यक्रम में मौजूद रीना नौलिया ने किसानों को आर्गेनिक फार्मिग कैसे की जाती है और इसके लाभ के बारे में किसानों को विस्तार से बताया-
आर्गेनिक फार्मिग के लिए टिप्स:
उन्होंने किसानों को अपने अपने घरों पर ही रोज दिन के वेस्ट प्रोडक्ट से आर्गेनिक खाद, बीजामृत, जीवामृत तथा गुणवत्ता युक्त डी-कंपोजर तैयार करने का तरीका बताया. यह राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, वेस्ट डी-कंपोजर प्रेरक समूह उत्तराखंड द्वारा जनहित में जारी की गई गाइडलाइंस के अनुरूप डेमोसट्रेशन के द्वारा दी गयी. इस तरीके में केमिकल पदार्थ का उपयोग नहीं होता है. साथ ही गन्ना किसान अपनी उपज कैसे बढ़ा सकते हैं इसके लिए एसटीपी विधि, ट्रेंच विधि, अंतः फसल लेने के लिए समय से बुवाई, बीज शोधन, वैज्ञानिक व विभागीय विधियों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया.
बढ़ती मांग को देखते हुए लगातार देश के किसानों को आर्गेनिक फार्मिंग की और प्रेरित किया जा रहा है. और यह भी ध्यान रखा जा रहा है की उन्हें इस विषय की पूरी जानकारी हो ताकि इस तरह की फार्मिंग करते समय उन्हें कोई दिक्कार न हो. सही जानकारी होगी तभी किसान सही ढंग से खेती कर पाएंगे.