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Updated on: 29 October, 2022 6:38 PM IST
चीनी निर्यात प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है. इससे पहले सरकार ने गेहूं के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी. (फोटो-सोशल मीडिया

माना जा रहा है कि सरकार ने घरेलू बाजार में चीनी का स्टॉक बढ़ाने और कीमतें स्थिर रखने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. प्रतिबंध पर सरकार ने 31 अक्टूबर को घोषणा की है. शुक्रवार की देर रात जारी एक अधिसूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने कहा है कि भारत ने प्रभावी रूप से चीनी के निर्यात पर एक साल के लिए प्रतिबंधित किया है.

सरकार का यह निर्णय चीनी के रिकॉर्ड एक्सपोर्ट के बाद आया है. 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः 6.2 लाख मीट्रिक टन, 38 लाख मीट्रिक टन और 59.60 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया था. 2020-21 में रिकॉर्ड 70 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया गया था. सरकार ने कहा है कि चीनी निर्यात प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है. इससे पहले सरकार ने गेहूं के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी. सरकार का अनुमान है कि चालू वित्तीय वर्ष में घरेलू चीनी की खपत लगभग 2.75 करोड़ टन होने का अनुमान है. इसके साथ ही फैक्ट्रियों में एथेनॉल उत्पादन के लिए 45 लाख टन चीनी का प्रयोग होने की उम्मीद है.

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सरकार के फैसले के बाद दक्षिण एशिया और मध्य एशियाई देशों में चीनी की खपत और आयात को लेकर चिंता है. हालांकि ये प्रतिबंध सीएक्सएल और टीआरक्यू शुल्क रियायत कोटा के तहत यूरोपीय संघ और अमेरिका को निर्यात की जा रही चीनी पर लागू नहीं होंगे. भारत में चीनी उत्पादन का मौसम आम तौर पर अक्टूबर से सितंबर तक शुरू होता है, जबकि गन्ना पेराई का मौसम आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में शुरू होता है और अप्रैल के मध्य तक जारी रहता है.

English Summary: Sugar Export Curbs by government amid essential commodities price hike in domestic market
Published on: 29 October 2022, 06:51 PM IST

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