Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 21 June, 2019 12:30 PM IST

मध्य प्रदेश राज्य जिला बैतूल में सरकार काजू की बागवानी बढ़ाने पर जो दे रही है. इसके लिए   उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा जिले के किसानों के खेतों में इस वर्ष भी बड़े स्तर पर काजू के बगीचे लगवाए जाएंगे. काजू मुख्यत: पड़त भूमि की फसल होने के कारण बैतूल जिले में बहुतायत में पाई जाने वाली लाल बर्री जमीन हेतु उपयुक्त फसल है. बैतूल जिला प्रदेश का पहला जिला है जहॉ पर वर्ष 2018-19 से काजू की व्यवसायिक खेती प्रारंभ की गयी है. काजू उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुये विभाग द्वारा इस वर्ष 1000 हेक्टेयर में किसानों के खेतों में काजू के बगीचे लगाये जाने का लक्ष्य रखा गया है.

उप संचालक उद्यान डॉ. आशा उपवंशी-वासेवार द्वारा बताया गया कि बैतूल जिले हेतु काजू आर्थिक रूप से काफी लाभकारी फसल है, जिसे काली भारी मिट्टी एवं ऐसी मिट्टी जहां जल का भराव होता है, को छोडक़र सभी तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है. ड्रिप सहित काजू लगाये जाने पर रोपण के दूसरे साल से उत्पादन प्राप्त होता है जो कि प्रतिवर्ष बढक़र 6-7 साल बाद व्यवसायिक उत्पादन प्रारंभ हो जाता है, प्रति पेड़ औसतन 15-20 किलो उत्पादन प्राप्त होता है. ग्रेडिंग के अनुसार कच्चा काजू 100-125 रूपये प्रति किलो की दर से आसानी से बिक जाता है. काजू के उत्पाद जैसे काजू, एप्पल, कवर, काजू नट आदि का मूल्य संवर्धन कर कई तरह के उत्पाद बनाये जा सकते है. काजू प्रसंस्करण हेतु बैतूल जिले के घोडाडोंगरी में छोटी प्रसंस्करण इकाई स्थापित है.

सरकार की ओर से मिलेगा अनुदान

उद्यानिकी विभाग की फल पौधरोपण योजनान्तर्गत काजू के बगीचे लगाये जाने हेतु अनुदान का प्रावधान है. ड्रिप सहित 1 हेक्टेयर में 400 पौधों का रोपण किये जाने पर प्रावधान अनुसार 3 वर्षो में 3 किश्तों (60:20:20) में 60 हजार रूपये अनुदान देय होगा. योजनांतर्गत ग्राफ्टेड पौधे विभाग द्वारा प्रदान किये जायेंगे जिनकी राशि सम्बन्धित किसान की अनुदान राशि से समायोजित की जाएगी.

यहाँ करें संपर्क :      

सीमित लक्ष्य को देखते हुये पात्रता अनुसार ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर योजना का लाभ दिया जाएगा. अधिक जानकारी के लिये इच्छुक कृषक संबंधित विकासखण्ड के उद्यानिकी कार्यालय अथवा कार्यालय उप संचालक उद्यान, कंपनी गार्डन, बस स्टैण्ड के पीछे, बैतूल में  सम्पर्क कर सकते है.

कोको बोर्ड द्वारा दिया गया प्रशिक्षण

जिले में काजू की व्यवसायिक खेती हेतु राष्ट्रीय काजू एवं कोको विकास निदेशालय कोच्चि केरल द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है. पूर्व में निदेशालय के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के काजू बगीचों का भ्रमण कर निरीक्षण किया गया एवं काजू लगाने वाले किसानों को काजू उत्पादन की तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया गया. वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसा की गयी कि बैतूल जिले की जलवायु काजू की खेती के लिये अनुकूल है एवं उचित देखभाल करने पर बैतूल जिले में उत्पादित काजू अपनी एक नई पहचान बना सकता है.

English Summary: Subsidy on Cashew Farming in Madhya Pradesh
Published on: 21 June 2019, 12:35 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now