दिल्ली के आस-पास के राज्य पराली (Paddy Straw) से होने वाले प्रदूषण से काफी परेशान हो जाते हैं. यह प्रदूषण सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है. इसके साथ ही परली से होने वाला प्रदूषण किसानों के लिए भी समस्या पैदा कर देता है.
इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के पूर्व छात्रों ने एक नई तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के तहत एक बैटरी विकसित की गई है. इसके जरिए पराली से होने वाले प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा. इसके साथ ही किसानों की आय भी दोगुनी होगी.
सरकार की तरफ से मिल चुकी है अनुमति (Permission Has Also Been Received From The Government)
प्रोफेसर की मानें, तो यह बैटरी बनाने के लिए कोबाल्ट, निकल और लिथियम जैसे रासायनिक तत्वों (Chemical Elements) की जरूरत होती है. यह तकनीक भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरु की गई है. इस तकनीक को सरकार की तरफ से भी अनुमति मिल गई है.
पराली से बनने वाली बैटरी का उपयोग (Use Of Straw Battery)
पराली से बनने वाली सोडियम आयन बैटरी का इस्तेमाल मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर स्ट्रीट लाइट आदि में किया जा जायेगा. वैज्ञानिकों के अनुसार बताया जा रहा है कि एक किलो पराली का प्रयोग करके चार आइफोन की बैटरी बनाई जा सकती है.
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जानिए कैसे बनेगा पराली से कार्बन (Know How Carbon Will Be Made From Straw)
कार्बन बनाने के लिए पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है. इसके बाद इसमें केमिकल का इस्तेमाल कर भट्ठी में एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है. इस प्रक्रिया से कार्बन बनाने की तकनीक पूरी होती है.
जानाकरी के लिए बता दें इस क्रिया में रासायनिक प्रक्रिया का इस्तेमाल कर नमक से सोडियम और पराली से कार्बन बनाया जाएगा. इन दोनों पदार्थों को मिलाकर सोडियम आयन बैटरी तैयार की जाएगी.