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Updated on: 20 October, 2022 2:54 PM IST
tarun and varun jami founder and co founder of Agrocrete greenjams

पराली की समस्या किसानों के लिए एक बड़ी मुसीबत बनकर सामने आती है. किसान अगली फसल के लिए खेत तैयारी में जुट जाते हैं जिसके लिए उन्हें खेत को साफ करने के लिए जल्द से जल्द खेत साफ करना पड़ता है. किसान मजबूरन पराली को जला देते हैं. इसके बाद उससे उत्पन्न होने वाला धुंआ व प्रदुषण पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता है. इसी कड़ी में 2 भाई तरूण जामी व वरुण जामी ने मिलकर पराली से निपटने के लिए व प्रदूषण कम करने के लिए इसका समाधान निकाला. उन्होंने परली से ईंट बना डाली,जिससे किसानों को भी फायदा मिला और पर्यावरण को भी.

ऐसे आया एग्रोक्रीट स्टार्टअप का आइडिया

वरूण जामी एग्रोक्रीट (Agrocrete) के को- फाउंडर (Co- Founder) ने कृषि जागरण से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि कंपनी के फाउंडर व उनके बड़े भाई तरुण जामी जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित थे. उन्होंने वर्ष 2014 में इस गंभीर विषय में रिसर्च की और पाया कि जलवायु परिवर्तन में 45 फीसदी योगदान बिल्डिंग निर्माण (building construction) कार्य है. इससे निपटने के लिए रिसर्च की, तब उन्हें पता लगा कि फ्रांस में भांग से निर्माण कार्यों के लिए ईंटों को बनाया जाता है. तो उन्होंने इस तकनीक को भारत में लाने के बारे में सोचा. इस काम को वर्ष 2019 में गति मिली. वर्ष 2019 में अक्टूबर के महीने में तरूण जामी एक ईवेंट में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए तो उस वक्त दिल्ली में प्रदूषण बहुत अधिक था, उन्हें अस्थमा भी था, जिस वजह से उन्हें काफी दिक्क्तों को सामना करना पड़ा. उन्होंने प्रदूषण के पीछे के कारण का पता लगाया तो पता लगा कि दिल्ली में भयंकर प्रदूषण का कारण पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली है. तो उन्होंने सोचा कि यदि भांग से ईंट बनना संभव है तो क्यों न हम भारत में पराली से ईंट बनाने का काम करें. जिससे किसानों की समस्या का निपटान होगा, साथ ही पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

पराली से बनी ईंट (एग्रोक्रीट ) से तैयार घर

एग्रोक्रीट (Agrocrete ) की खास ईंट

पराली द्वारा बनी इन ईंटों की खास बात ये है कि यह सर्दियों में गर्माहट को अंदर तथा गर्मियों को बाहर रखता है. साथ ही Agrocrete खोखले ब्लॉक निर्माण में एक आदर्श बदलाव का कारण बन रहे हैं क्योंकि वे आधी लागत पर 3.5 गुना थर्मल इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, जबकि पारंपरिक मिट्टी और फ्लाई-ऐश ईंटों की तरह मजबूत होते हैं. इसके निर्माण कार्य में 50% कम लागत आती है. चिनाई का काम 100 फीसदी तेजी से होता है. साथ ही 350% उच्च थर्मल इन्सुलेशन है.

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पराली से बनी ईंट (एग्रोक्रीट ) से निर्माण कार्य

पराली से ईंट की फैक्ट्री

एग्रोक्रीट (Agrocrete ) ने साल 2020 में रुड़की में पहली पराली से बनी ईंट बनाने के लिए फैक्ट्री लगाई.इसके बाद मांग बढ़ने लगी तो मेरठ में एक बड़ी फैक्ट्री  विस्थापित की. फिर इसके बाद विशाखापटनम में एक और फैक्ट्री विस्थापित की.

English Summary: stubble cast brick Agrocrete, Tarun Jami is becoming a role model for everyone
Published on: 20 October 2022, 03:06 PM IST

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