Stubble Burning Incidents in Punjab: अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में कमी देखने के बाद, पंजाब में खेत में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ गई हैं. वहीं, पंजाब में पिछले चार दिनों में आग लगने की 502 घटनाएं सामने आईं हैं. ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, खेतों में आग की निगरानी करने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि दशहरा से पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आ सकती है और दिवाली पर यह चरम पर पहुंच सकती है, जिससे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
वहीं, राज्य में 20 अक्टूबर को 174 आग की घटनाएं (सीजन में अब तक की सबसे अधिक) दर्ज की गईं, इसके बाद 21 अक्टूबर को 146, 22 अक्टूबर को 30 और आज 152 घटनाएं हुईं.
एनजीटी ने पीपीसीबी को ध्यान केंद्रित करने का दिया निर्देश
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बढ़ती पराली जलाने की घटनाओं और बिगड़ते प्रदूषण स्तर को ध्यान में रखते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) को हॉटस्पॉट जिलों के भीतर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है. उचित उपचारात्मक उपायों के साथ उन क्षेत्रों पर पीपीसीबी ने खराब ट्रैक रिकॉर्ड वाले आठ जिलों के नाम बताए हैं. पिछले साल संगरूर, बठिंडा और फिरोजपुर में क्रमश: 5,239, 4,592 और 4,295 खेतों में पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं.
एनजीटी के नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पीपीसीबी के अध्यक्ष आदर्श पाल विग ने कहा, “हमने अपनी पिछली रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि फसल कटाई का मौसम शुरू होने के तुरंत बाद अमृतसर और पड़ोसी जिले तरनतारन में आग की घटनाओं में वृद्धि देखी गई थी. लेकिन राज्य सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने में कामयाब रही. अब, एनजीटी ने हॉटस्पॉट जिलों के भीतर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और किए गए उपचारात्मक उपायों पर एक और रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है.
आग लगने की कुल घटनाओं में कमी
उन्होंने कहा कि इस बार खेतों में आग लगने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम हैं. 23 अक्टूबर, 2021 तक राज्य भर में खेत में आग लगने की कुल 6,058 घटनाएं दर्ज की गईं. 2022 में इसी अवधि के दौरान 4,598 मामले सामने आए. इस साल 15 सितंबर से 23 अक्टूबर तक राज्य में खेतों में आग लगने की कुल 1,946 घटनाएं सामने आई हैं.
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बढ़ सकता है प्रदूषण का स्तर
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में जलवायु परिवर्तन और कृषि मौसम विज्ञान विभाग की प्रमुख पवनीत कौर किंगरा ने कहा कि पूरे क्षेत्र में अभी भी हवा ठहराव की स्थिति बनी हुई है और हवा केवल 2 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है. यदि पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती हैं, तो इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है, क्योंकि ठंड की स्थिति के कारण प्रदूषित कण हवा में बने रहेंगे.