राजस्थान के धौलपुर जिले में धनौरा नाम का गांव अच्छे-अच्छे महानगरों को मात देता है. यहां हर तरह की व्यवस्था उपलब्ध है और आप इसे हर तरह से स्मार्ट गांव कह सकते हैं. लेकिन हमेशा से यहां समृद्धि नृत्य करती थी, ऐसा नहीं था. इस गांव की किस्मत तब बदली, जब आईआरएस अधिकारी डॉ. सत्यपाल सिंह मीणा की नजर यहां पड़ी.
गांव के लोग बताते हैं कि 2015 से पहले इस गांव की हालत बहुत दयनीय थी. यहां न तो सड़क थी, न ही शौचालय और न ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था. गांव से लोगों का पलायन जारी थी और लोगों के मकान जर्जर होकर ढह रह थे.
अभियान से बदली ग्रामीणों की सोच
गांव के लोगों को जागरूक करने के लिए सत्यपाल सिंह मीणा ने तरह-तरह के उपाय किए. कभी लोगों को सोच बदलो, गांव बदलो का नारा दिया गया, तो कभी उन्हीं के बीच से वॉलंटियर का चुनाव किया गया. सत्यपाल बताते हैं कि 3 हजार से अधिक वॉलंटियर लगाने के बाद आखिरकार गांव के लोगों को हर जरह से जागरूक करने में वो सफल रहे. आज यहां के ग्रामीण हर तरह की सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए तैयार रहते हैं एवं अपने अधिकारों एवं जिम्मेदारियों को समझते हैं.
बदल गई है गांव की तस्वीर
गांव की मूल आत्मा तो आज भी जिंदा है और उसी रूप में है. लेकिन धनौरा में अब बड़े कम्यूनिटी हॉल, चौड़े रास्ते, शौचालय और पीने का पानी आदि सब है. इतना ही नहीं अब यहां सीवरेज लाइन भी जोड़ा गया है. मानव निर्मित तीन किलोमीटर की नहर गांव को अलग पहचान देती है. गांव के घर-घर में बिजली है, तो सड़कों पर जगह-जगह सोलर लाइटें लगाई गई है. गांव में स्कूल है, जहां बच्चियों के लिए अलग और आधुनिक शौचालय है. यहां बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है.