केंद्र सरकार के बाद से अब राज्य सरकारों ने भी रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में हिमाचल की जयराम सरकार ने भी प्रदेश में रबी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोतरी करने का एलान किया है. हालांकि यह बढ़ोतरी किसानों के लिए संतुष्टजनक नहीं है नतीजतन किसानों के चेहरों पर चिंता और मायूसी की लकीरें दिखाई दे रही हैं. दरअसल महंगाई के इस दौर में जयराम सरकार ने रबी की फसलों के वर्ष 2020-21 के विपणन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है, इसमें गेहूं और जौ की फसल के न्यूनतम मूल्य में सिर्फ 85-85 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. जिससे राहत की उम्मीद लगाए बैठे किसानों को मायूसी हाथ लगी है.
आपको बता दें कि जयराम सरकार ने पिछले साल की तरह इस बार भी गेहूं का समर्थन मूल्य सिर्फ 85 रुपये प्रति क्विंटल ही बढ़ाया है. हालांकि, प्रदेश के किसानों को इससे ज्यादा की बढ़ोतरी की उम्मीद थी. बताया जा रहा है कि दाल चना में 255 रुपये, मसूर में 325 रुपये, सरसों में 225 रुपये और कुसुंभ में 270 रुपये वृद्धि हुई है. जानकारी के मुताबिक, प्रदेश सरकार की मंजूरी के लिए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों की फाइल भेजी थी, जिसे प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है. आने वाले वर्ष में रबी की फसल नए न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार ही खरीदी जाएगी.
रबी की फसल का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य
गेहूं 1925 रुपये (प्रति क्विंटल)
चन्ना 4875 रुपये (प्रति क्विंटल)
जौ 1525 रुपये (प्रति क्विंटल)
कुसुंभ 5215 रुपये (प्रति क्विंटल)
मसूर 4800 रुपये (प्रति क्विंटल)
सरसों 4425 रुपये (प्रति क्विंटल)
रबी की फसल का पुराना न्यूनतम समर्थन मूल्य
गेहूं 1840 रुपये (प्रति क्विंटल)
जौ 1440 रुपये (प्रति क्विंटल)
मसूर 4475 रुपये (प्रति क्विंटल)
चना 4620 रुपये (प्रति क्विंटल)
कुसुंभ 4945 रुपये (प्रति क्विंटल)
सरसों 4200 रुपये (प्रति क्विंटल)