Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 August, 2021 1:42 PM IST
Farmers

अब सिर्फ़ ओला, ओयो, फ़्लिपकार्ट ही नहीं, कृषि क्षेत्र में भी स्टार्ट अप कम्पनियां आने लगी हैं. ज़्यादातर ऐसी कम्पनियां भारत के उच्चतम संस्थानों में पढ़े मेधावी छात्रों द्वारा खोली जा रही हैं, जो कि आत्मनिर्भर भारत की नयी नींव रखने का काम कर रहे हैं.

कुछ ऐसी कम्पनियां, जैसे कि देहात, कृषिका किसान मार्ट, ऐग्रोस्टार आदि ऐसे नेटवर्क खड़े कर रही हैं, जिससे उच्चतम गुणवत्ता के कीटनाशक, बीज, उर्वरक किसानों तक कम से कम दामों में पहुँचें. यह कम्पनियां बिचौलियों को हटाते जा रही हैं, जिससे भाव कम रहते हैं, और गुणवत्ता अच्छी रहती है. यह एक बहुत बड़ी समस्या का हल है. 

बाज़ार में बहुत सी प्रतिष्ठित कम्पनियों के कीटनाशक उपलब्ध हैं. लेकिन बाज़ार में ऐसे संदिग्ध वितरकों की एक श्रृंखला भी उपलब्ध है जो कि किसानों को धोखे में रख कर नकली कीटनाशकों की बिक्री करती हैं.  परिणामस्वरूप किसानों को नकली कीटनाशकों के कारण दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. किसान की मेहनत पर पानी फिरता है, और आर्थिक नुकसान भी होता है.

एसीएफआई (एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया) के अनुसार इस तरह के नकली कीटनाशक न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और उपभोक्ता के स्वास्थ्य को बुरी तरह से खतरे में डालते हैं, बल्कि किसानों की जेब पर भी भारी असर डालते हैं.  किसानों को नकली कीटनाशकों की बिक्री से कम्पनियों और सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

ऐसे में एग्री स्टार्ट-अप कम्पनियां, कृषि उत्पाद लेकर सीधा किसान तक पहुँचा के खेल को बदल रही हैं, बिचौलियों को खत्म कर रही हैं, और नकली उत्पादों के जोखिम को खत्म कर रही हैं. स्टार्ट अप कम्पनी "कृषिका" के उप महाप्रबंधक डॉo दिनेश चंद्र मौर्य का कहना है कि उनकी कम्पनी सीधे बड़ी इनपुट कम्पनियों से माल लेकर किसानों तक उचित मूल्यों पर पहुँचाती है, और छिड़काव के सही तरीक़े और मात्रा के बारे में भी किसानों को प्रशिक्षित करती है. कृषिका के "ऐग्रोनोमिस्ट” उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में 25000 किसानों के साथ लागत कम करवाने और पैदावार बढ़वाने का काम कर रहे हैं. किसान भी इससे बहुत ख़ुश हैं, क्योंकि वाजिब दाम पर बिल के साथ उनको सामान मिलता है, और मुफ़्त प्रशिक्षण और ज्ञान भी मिलता है.

ज़्यादातर कृषि स्टार्ट अप सॉफ़्टवेयर द्वारा कई इकाइयों का हिसाब एकत्रित करते हैं. वे जी.एस.टी रसीद पर असली उत्पादों की बिक्री करते हैं, और बेचे गए कृषि उत्पादों पर जीएसटी का भुगतान कर क्रेडिट भी लेते हैं.  फलस्वरूप सरकार का राजस्व बढ़ता है और उचित लेखांकन में आसानी रहती है.

राज्य स्तर पर संबंधित विभागों को इन स्टार्ट अप कम्पनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए जो किसानों के साथ ज़मीनी स्तर पे काम कर बदलाव लाने का प्रयास कर रही हैं. इससे बाज़ारों में नकली कृषि उत्पादों के जोखिम को कम किया जा सकता है, और किसान और सरकार,  दोनों का हित सार्थक होता है. 

अधिक जानकारी के लिए आप https://www.krishikaindia.com पर विजिट कर सकते हैं.

English Summary: Startup companies getting rid of middlemen, providing quality products
Published on: 10 August 2021, 01:45 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now