Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 18 October, 2021 5:34 PM IST
Soyabeen Crops

देशभर में इस बार मॉनसून का कहर, पिछला सभी रिकॉर्ड तोड़ता नजर आ रहा है. भारत में मानसून इंडियन ओसियन व अरेबियन सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है. जब ये हवाएं भारत के ईस्टर्न घाट और वेस्टर्न घाट से टकराती हैं, तो भारत तथा आसपास के देशों में भारी वर्षा होती है.

भारत के कई राज्यों में इस बार मानसून ने अपना रौद्र रूप दिखते हुए सबको परेशानियों में घेर लिया है. कई राज्यों  में किसानों के लिए भारी बारिश  मुसीबतों का पहाड़ बनकर सामने आई. जिस वजह से किसानों की  हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई, और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

देश में आमतौर पर किसानों की आर्थिक हालत कुछ खासा बेहतर नहीं होती. हर साल ना जाने कितने ऐसे किसान हैं जो कर्ज के बोझ तले दब कर खुदखुशी करने को मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में प्रकृति की ये मार किसानों को हिला कर रख दिया है.

अभी किसानों के घाव पूरी तरह से भरे भी नहीं थे,  इस बीच बारिश ने दोबारा अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. उत्तर-पूर्व भारत समेत देश के कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से मौसम ने फिर करवटें लेनी शुरू कर दी है और बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के विदर्भ समेत कई राज्यों में पिछले तीन दिनों से बारिश अपना कहर दिखा रही है. इस दौरान अन्य फसलों के साथ सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान हुआ है.फसल की कटाई के बाद उनका सूखना जरुरी होता है. ऐसे में जिन किसानों ने कटाई कर फसल को सूखने के लिए खेतों में डाल रखा था. उन्हें तो नुकसान हुआ ही  है, साथ ही अभी तक खेतों में खड़ी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंची है.

मिली जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश और विदर्भ में किसान भारी पैमाने पर सोयाबीन की खेती करते हैं. ऐसे में इन किसानों के लिए बारिश एक अभिशाप बनकर सामने आई है.

महाराष्ट्र के विदर्भ में बारिश की वजह से सोय़ाबीन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. यहां के अकोला जिले के पातूर नंदपुर गांव के किसान राजेश बोले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है. उन्होंने कटाई के बाद अपनी फसल खेतों में सूखने के लिए रखी थी. ऐसे में बारिश ने उनकी फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. इस दौरान  फसल को पानी से बाहर निकाल कर रोते हुए राजेश  कहते हैं कि फसल बर्बाद होने के बाद अब कैसे परिवार का खर्च देखूंगा  और कर्ज कैसे वापस करूंगा. सितंबर-अक्टूबर में भी बारिश-बाढ़ से फसलों को हुआ नुकसान था.

ये भी पढ़ें: सोयाबीन की फसल में पोषक तत्व प्रबंधन कैसे करें?

आपको बता दें इससे पहले अगस्त-सितंबर की बारिश और बाढ़ की मार झेल चुके,  महाराष्ट्र सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के किसानों को भारी नुकसान हुआ था. उस दौरान खरीफ के साथ-साथ किसानों को गन्ने, केले,  मेंथा, धनिया, पपीता की फसलें आंधी-पानी से बर्बाद हो गई थी.

अभी भी इन राज्यों के सैंकड़ों किसान बर्बादी के कगार पर आ चुके हैं. बर्बाद हो चुके फसल पर सरकार से मदद यानी मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं. 

English Summary: Soybean crop damaged due to rain, farmer cried
Published on: 18 October 2021, 05:40 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now